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मौजूदा वित्तीय प्रणाली डार्विनियन मोड में, वही बैंक जिंदा रह सकता है, जो सक्षम है - कोटक

मौजूदा वित्तीय प्रणाली डार्विनियन मोड में, वही बैंक जिंदा रह सकता है, जो सक्षम है - कोटक

मौजूदा वित्तीय प्रणाली डार्विनियन मोड में, वही बैंक जिंदा रह सकता है, जो सक्षम है - कोटक
 दिग्गज बैंकर उदय कोटक ने कहा है कि देश की मौजूदा वित्तीय प्रणाली डार्विनियन मोड में है, जिसके मुताबिक इस वक्त वही बैंक जिंदा रह सकता है, जो सक्षम है। कोटक महिंद्रा बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर तथा सीईओ उदय कोटक ने यह भी कहा कि इतिहास पर गौर करें तो जब भी निजी बैंक संकट में फंसा है, उसका सरकारी बैंकों के साथ विलय किया गया है। 
कोटक ने कहा, 'हर सेक्टर विलय की राह पर है, जैसे पहले कभी नहीं देखा गया था। भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी तेजी से विलय की प्रक्रिया चल रही है।' डार्विनयन मोड का मतलब डार्विन के सिद्धांत से है, जिसके मुताबिक व्यवस्था में वही टिक पाता है, जो मजबूत होता है, कमजोर खुद खत्म हो जाता है।  उनके मुताबिक, केंद्र सरकार को फाइनैंशल रिजॉल्यूशन डिपॉजिट इंश्योरेंस पर दोबारा काम करना पड़ेगा, क्योंकि संकट में फंसे बैंकों के लिए बाहर निकलने का रास्ता होना जरूरी है। डिपॉजिटर्स की सुरक्षा पर चिंता जताने वाला एफआरडीआई विधेयक लैप्स हो चुका है और सरकार को नया विधेयक लाना है। 
 

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