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लिली का फूल दूर करेगा कीमोथैरेपी का दर्द

लिली का फूल दूर करेगा कीमोथैरेपी का दर्द

लिली का फूल दूर करेगा कीमोथैरेपी का दर्द
कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए दी जाने वाली कीमोथैरेपी से होने वाले साइडइफेक्ट को अब लिली का फूल के अर्क से दूर ‎किया जायेगा। बता दें ‎कि यह ‎‎‎रिसर्च जीवाजी यूनिवर्सिटी में फार्मेसी विभाग की डायरेक्टर डॉ. सुमन जैन ने अपने छात्र योगेंद्र मावई के साथ ‎मिलकर ‎‎किया है। दरअसल उन्होंने इस अर्क का प्रयोग चूहों पर किया। इस दौरान उन्होंने पहले स्विस एल्बिनो चूहों के पेट में डलटोन्स लिंफोमा सेल लाइन द्वारा कैंसर बीमारी दी। कैंसर होने की प्रक्रिया के दौरान से इन्हें कोबरा लिली का अर्क और कीमोथैरेपी में उपयोग होने वाली मुख्य दवा सायक्लोफोस्फामाइड को 14 दिन तक नियमित डोज दिया गया। इसके 4 दिन बाद चूहों की आंख से ऑर्बिटल प्लेक्सस विधि से रक्त निकाला। ‎जिसके बाद सर्वाइकल डिसलोकेशन पद्धति के द्वारा इन चूहों के अंगों पर हुए प्रभावों को जांचने के लिए मृत किया। जब इन चूहों के अंगों एवं रक्त की जांच की गई तो पता चला कि कैंसर ग्रसित चूहों पर सायक्लोफोस्फामाइड नामक दवा के दुष्प्रभावों को कोबरा लिली के अर्क ने कम किया है। इसके परिणाम अच्छे आए और अब रिसर्च को पेटेंट के लिए भी भेजा गया है। दरअसल, कैंसर रोगियों के ‎लिये कैंसर कोशिकाएं नष्ट करने के लिए कीमोथैरिपी दी जाती है। इसमें मुख्य दवा साइक्लोफोस्फामाइड होती है। इससे कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं, लेकिन किडनी में क्रिएटिन, ब्लड यूरिया, नाइट्रोजन, हृदय में क्रेटीन काइनेज एवं लिवर बिलीरुबीन अनियंत्रित हो जाता है। जबकि कोबरा लिली फूल के अर्क से बनाई गई दवा से यह नियंत्रित हो गया। 

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