
चीन बना रहा गधों की खाल से दवा
देश में गधों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। दरअसल, चीन अपनी परम्परागत दवा 'इजिआआ' के उत्पादन के लिये भारत से हजारो गधों को खरीद रहा है। बता दें कि इस दवा का इस्तेमाल एनीमिया जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इस दवा को गधे की खाल से बनाया जाता है। हालांकि ये गिरावट भारत देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आ रही है। गधों में आई गिरावट को लेकर हाल ही में पशुगणना की गई है, जिसके अनुसार भारत में केवल 1,20,000 गधे बचे हैं। वहीं अनुमान है कि 2007 से 2012 तक भारत में गधों क संख्या में 23 प्रतिशत गिरावट आई थी जो 2019 तक बढ़कर 61.23 प्रतिशत हो गई। बता दें कि चीन ने अपने घरेलू गधों की आबादी तेजी से गिरने के कारण अन्य देशों की ओर तलाश शुरु की है। हालांकि गधों की हत्या से संक्रामक रोग फैलने का भी जोखिम भी रहता है।पशु कल्याण संगठन द डंकी सैंक्चुरी की रिपोर्ट के अनुसार चीनी दवा इजिआओ के लिये सलाना लगभग 48 लाख गधों की खपत होती है।
गधों की सलाना खपत 48 लाख
वैश्विक पशु कल्याण संगठन दे डंकी सैंक्चुरी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार चीनी इजिआओ उद्योग में सलाना लगभग 48 लाख गधों की खाल की खपत होती है, जबकि चीन में वर्तमान में मात्र 26 लाख गधे हैं। ऐसे में इजिआओ उद्योग में दुनिया भर के गधों की खालों को खपाया जा रहा है।
गरीबी से बाहर निकलने का रास्ता गधा
रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया के कई समुदायों के लिए गधे गरीबी से बाहर निकलने का रास्ता है। उनका उपयोग पानी इकट्ठा करने, अस्पताल और बच्चों को स्कूल भेजने जैसे कामों के साथ बाजार तक माल पहुंचाने में किया जाता है। घटती गधों की संख्या से इन पर व्यापक असर पड़ा है।