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1990 की तुलना में दोगुने लोग हुए मान‎सिक बीमारी के ‎शिकार

1990 की तुलना में दोगुने लोग हुए मान‎सिक बीमारी के ‎शिकार

1990 की तुलना में दोगुने लोग हुए मान‎सिक बीमारी के ‎शिकार
देश में मान‎सिक बीमारी से हर सात व्यक्ति में से एक पीड़ित है। जो डिप्रेशन, एंग्जाइटी और सिजोफ्रेनिया से परेशान हैं। बता दें ‎कि 2017 में मानसिक बीमारी के रोगियों की संख्या 1990 की तुलना में दोगुनी बढ़ गई है। दरअसल, 1990 में कुल मान‎‎सिक रोगियों की संख्या में 2.5% थी, जो 2017 में बढ़कर 4.7% हो गई। हालां‎कि 1990 में सामान्य रूप से डिप्रेशन और एंग्जाइटी मिलने वाली समस्याएं थीं। ‎जिससे करीब साढ़े 4 करोड़ लोग पीड़ित थे। हालां‎कि अब इन दोनों ‎विकारों का असर भारत में भी बढ़ता दिख रहा है। ‎जिसमें सबसे ज्यादा असर महिलाओं और दक्षिण भारतीय राज्यों में देखने को ‎मिला है। इसकी जानकारी लैंसेट साइकैट्री के अध्यन से ‎मिली है। ‎जिसमें बताया गया है ‎कि देश में 2017 में 19.7 करोड़ लोग मानसिक विकार से ग्रस्त थे। इसमें डिप्रेशन से पीड़ित उम्रदराज लोगों की संख्या ज्यादा है। इसके वजह से आत्महत्याओं में भी इजाफा हुआ है। वहीं उत्तर भारतीय राज्यों में बचपन में होने वाले मानसिक विकार के मामले ज्यादा सामने आये हैं। हालांकि, देशभर में बच्चों के इस तरह के मामले पहले की तुलना में कम हुए हैं। बताया गया ‎कि सभी मानसिक विकार पीड़ितों में 33.8% डिप्रेशन, 19% एंग्जाइटी और 9.8% लोग सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे। ‎जिसकी वजह मान‎सिक रोग पर ध्यान नहीं देना है। वहीं उत्तर भारत में एंग्जाइटी का असर सबसे कम देखा गया। 
10 साल में डिप्रेशन के 18% मामले बढ़े
2017 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में बताया गया ‎कि 2005 से 2015 के बीच दुनिया में डिप्रेशन के मामले 18% बढ़े थे। तब दुनियाभर में डिप्रेशन के करीब सवा तीन करोड़ पीड़ित थे। इनमें लगभग आधे दक्षिण-पूर्वी एशिया में थे। हालां‎कि अब देश में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य चिकित्सा सेवाओं में शामिल करने के बाद इसका इलाज लेने में लोगों की झिझक दूर करने की जरूरत है। 

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