
अमेरिकी वर्क वीजा पर आईटी कंपनियों को हो सकती है दिक्कत
अमेरिका के वर्क वीजा के लिए अप्रैल से शुरू होने वाली नई रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया स्पष्ट नहीं होने के कारण भारतीय आईटी कंपनियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के लिए दोबारा चुनाव लड़ने से वीजा से जुड़ी सख्ती और बढ़ सकती है। एच-1बी वीजा जारी करने वाली अमेरिकी सिटिजनशिप एड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) वीजा देने के लिए अप्रैल से एक नई प्रक्रिया शुरू करेगी। इसमें कंपनियों को उन कर्मचारियों के नाम पहले से रजिस्टर कराने होंगे जिनके लिए वीजा की जरूरत है। इसके बाद यह कंपनी रजिस्टर्ड उम्मीदवारों में से उन्हें चुनेगी, जो वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं। आमतौर पर एच-1बी सीजन मार्च की शुरुआत से अप्रैल से दूसरे सप्ताह तक चलता है। अब यह मार्च की शुरुआत से कम से कम जुलाई 2020 तक चलेगा। इसका मतलब है कि यूएससीआईएस को इन मामलों पर फैसला करने में अधिक समय लगेगा। इससे भारतीय और अमेरिकी दोनों कंपनियों पर असर पड़ सकता है। सबसे अधिक वीजा प्राप्त करने वाली शीर्ष 10 कंपनियों में से केवल दो भारतीय कंपनियां थी। इन भारतीय कंपनियों को 1,966 और अन्य आठ कंपनियों को 8,898 वीजा मिले थे। इसके बाद से भारतीय आईटी कंपनियां वीजा के लिए आवेदन दाखिल करने में अधिक सतर्कता बरत रही हैं। अमेरिका अब ऐसे नए नियम भी लागू कर सकता है जिनसे साइंस, टेक्नॉलजी, इंजीनियरिंग और मैथमैटिक्स की पढ़ाई करने वाले एक विदेशी छात्र के लिए अमेरिका में जॉब करने का समय घटाया जाएगा।