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ईरान मतलब, कानून और रहन-सहन के तरीके बेहद सख्त

 ईरान मतलब, कानून और रहन-सहन के तरीके बेहद सख्त

 ईरान मतलब, कानून और रहन-सहन के तरीके बेहद सख्त
 ईरान का नाम सामने आते ही एक ऐसे देश की छवि बनती है जहां कानून और रहन-सहन के तरीके बेहद सख्त हैं। वही ईरान पहले ऐसा नहीं था। इस्लामिक क्रांति से पहले शाह मोहम्मद रेजा पहलवी के शासनकाल में वहां पश्चिम का जबरदस्त प्रभाव था। न तो पहनावे और रहन-सहन को लेकर इतनी सख्ती थी और न ही इतनी धार्मिक पाबंदियां। खुला समाज था और कला-साहित्य के अलावा फिल्मों का बोलबाला था। यहां के लोगों का पहनावा लंदन, न्यूयॉर्क और पेरिस जैसे शहरों से कम नहीं था। लोगों को सामाजिक रूप से ज्यादा स्वतंत्रता थी।
- सख्त पाबंदियों की ओर लौटा देश 
फरवरी 1979 में धार्मिक नेता अयातुल्लाह रूहोल्लाह खामनेई निर्वासित जीवन व्यतीत कर देश वापस लौटे और इस्लामिक क्रांति का नेतृत्व किया। इसकी बदौलत 11 फरवरी 1979 को उन्होंने अमेरिका समर्थित तत्कालीन शाह मोहम्मद रजा पहलवी को सत्ता से बेदखल कर दिया। इसके बाद अयातुल्ला रुहोल्लाह खामनेई को ईरान का सर्वोच्च नेता चुना गया। उन्होंने इस्लामिक कानून लागू किए। शाह मोहम्मद रेजा पहलवी के समय जो आर्थिक और सामाजिक सुधार किए गए थे उन्हें गैर इस्लामी बता दिया। रहन-सहन के नए तरीके तय किए गए। सख्त पाबंदियां लागू की गईं। महिलाओं को किसी भी तरह के खेल कार्यक्रमों में शामिल होने से रोक दिया गया। सरकार शरिया से चलने लगी और छोटे अपराधों के लिए भी क्रूर सजा दी जाने लगी। औरतों का हिजाब में रहना जरूरी कर दिया गया। हालांकि, ईरान ने दरियादिली का परिचय देते हुए लगभग दस लाख विदेशी शरणार्थियों को अपने देश में जगह दी है. यह अपने तरह का अनोखा मामला है।

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