
दिल्ली मेट्रो हो या अन्य यातायात नेटवर्क, सिग्नल सिस्टम के मामले में अब तक विदेशी निर्माताओं पर ही निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब यह निर्भरता दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के साथ खत्म हो जाने की उम्मीद है, यानी देश का अपना सिग्नल सिस्टम होगा। दिल्ली मेट्रो के फेज-4 में पहली बार मेड-इन इंडिया सिग्नल सिस्टम देखने को मिलेगा। जब दिल्ली मेट्रो ने अपनी यात्रा शुरू की थी तब यह लगभग पूरी तरह से विदेशी टेक्नॉलजी के सहारे संचालित होती थी। समय बीतने के साथ कुछ सालों बाद दिल्ली मेट्रो सिस्टम के ज्यादातर कॉम्पोनेंट्स देश में ही तैयार किए जाने लगे। हालांकि, सिग्नलिंग सिस्टम के मामले में अब भी दिल्ली मेट्रो काफी हद तक अल्स्टम, बमबार्डियर और सीमन्स जैसी विदेशी कंपनियों पर निर्भर करती है। आत्मनिर्भर बनने और देश की दूसरी मेट्रो सेवाओं की मदद के लिए अब डीएमआरसी खुद सिग्नल सिस्टम तैयार करेगी। डीएमआरसी यह काम सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ अडवांस्ड कंप्यूटिंग(सी-डीएसी) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स की मदद से करेगी। जल्द ही इसके लिए रीसर्च एंड डिवेलपमेंट का काम शुरू कर दिया जाएगा।
डीएमआरसी के एक अधिकारी ने बताया, 'सिग्नलिंग सिस्टम मेट्रो के संचालन का लाइफब्लड है। अब तक देश के सभी मेट्रो नेटवर्क विदेशी सिग्नल सिस्टम से चलते हैं। ट्रेनों का चलना, रुकना, इमर्जेंसी में ब्रेक लगाना, पब्लिक अनाउंसमेंट करना आदि सभी काम सिग्निंग सिस्टम के जरिए होते हैं, जिन्हें ऑपरेशन्स कंट्रोल सेंटर से कंट्रोल किया जाता है। डीएमआरसी के एमडी मंगू सिंह ने कहा, अब तक हम विदेशी सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं और विदेशी कंपनियों के पास इनका मालिकाना हक होता है। उन्होंने आगे कहा कि जल्द हम स्वदेशी सिग्नल सिस्टम तैयार करेंगे, सरकार भी इस जरूरत को लेकर सहमत हो गई है। अब अपना सिस्टम तैयार किए जाने की जरूरत है ताकि हमें सॉफ्टवेयर के लिए विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े। डीएमआरसी को उम्मीद है कि अगले 2-3 वर्षों में स्वदेशी सिग्नल सिस्टम तैयार कर लिया जाएगा। मंगू सिंह ने कहा, अगर संभव हुआ तो फेज-4 में हमारा स्वदेशी सिग्नल सिस्टम होगा, जिसके बाद पूरे देश को फायदा होगा।