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पहेली बना रहा मीनाकुमारी का जीवन 

पहेली बना रहा मीनाकुमारी का जीवन 

पहेली बना रहा मीनाकुमारी का जीवन 
मीना कुमारी, जिनका असली नाम महजबीन बानो था। ट्रेजिडी क्वीन के नाम से लोकप्रिय हुई हैं। उनका जीवन एक रहस्यमयी पहेली बना रहा। अपने करीब 33 साल के करियर में उन्होंने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इनमें उनका सबसे उम्दा काम ‘साहब बीबी और ग़ुलाम’ (1962) में है। ‘पाकीज़ा’ (1972) भी, जो उनकी सबसे यादगार फिल्म है। इसके अलावा गुलज़ार के निर्देशन वाली ‘मेरे अपने’ (1971) है। इस फिल्म जैसा रोल मीना कुमारी को कोई दूजा नहीं है। उनकी फिल्म ‘मझली दीदी’ (1967) भी थी जो भारत की ऑफिशियल एंट्री के तौर पर ऑस्कर अवॉर्ड्स में गई थी। उनकी ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ (1960), ‘शारदा’ (1958), ‘मिस मैरी’ (1957) जैसी कई बेहतरीन फिल्में भी हैं।
मीना कुमारी ने समाज की परवाह किए बगैर प्रेम किया। कभी किसी बाहरी नैतिकता को अनुमति नहीं दी कि वो उनकी रुचियों और जीवनशैली का फैसला करे।
गुलज़ार के पास छोड़ गईं अपनी लिखी पोएट्री
उनकी कोई औपचारिक स्कूली पढ़ाई नहीं हुई थी, बावजूद इसके मीना कुमारी कई भाषाएं जानती थीं और बहुत सारी किताबें पढ़ती थीं। उन्हें शायरी और कविताएं लिखने का बहुत शौक था। कैफी आज़मी से भी उन्होंने सीखा। कविताएं के लिए मीना कुमारी का जुनून था कि वे गुलज़ार के करीब आ गई थीं। तब उनकी शादी कमाल अमरोही से हो चुकी थी। जब मीना गुज़र गईं तो अपने पीछे अपनी लिखी बहुत सी कविताएं और शायरियां गुलज़ार के पास छोड़ गईं।
मीना कुमारी एक बार मैगजीन पढ़ रही थीं और उसमें उन्होंने कमाल अमरोही की फोटो देखी जो तब हिंदी सिनेमा के जाने-माने राइटर-डायरेक्टर हो चुके थे। उन्होंने ‘महल’ (1949) जैसी सुपरहिट फिल्म बनाई थी। मीना उनके व्यक्तित्व, पढ़ाई-लिखाई और सोच से बहुत प्रभावित हुई। जब मीना का एक्सीडेंट हुआ तो दोनों बहुत करीब आ गए थे। प्रेम शुरू हुआ। एक-दूसरे को वे ख़त लिखा करते थे। पूरी-पूरी रात फोन पर बातें किया करते थे और इसके बाद परिवार वालों के खिलाफ जाते हुए मीना ने छुपकर कमाल से शादी कर ली। वे बिना बताए ही कमाल के घर पहुंच गई थीं और वहीं रहने लगीं।
कमाल और मीना का रिश्ता करीब एक दशक चला। बाद में इसमें खटास आने लगी। कमाल भी उन्हें लेकर बहुत पज़ेसिव थे और बहुत रूढ़िवादी थे। उन्होंने कई बंदिशें लगा रखी थीं। शर्तें बना रखी थीं। जैसे उनके मेक-अप रूप में किसी मर्द का घुसना मना था। इसी तरह उन्होंने एक असिस्टेंट मीना कुमारी के साथ लगा रखा था ताकि वे हर पल नजर रख सके लेकिन मीना ने हर नियम को तोड़ा।
शराब ने ली जान 
एक बार मीना अपनी बहन के साथ महाबलेश्वर से लौट रही थीं। रास्ते में उनकी कार का जोरदार एक्सीडेंट हुआ। मीना का एक हाथ बुरी तरह घायल हो गया। ये भी बात थी कि हाथ शायद काटना पड़े लेकिन हाथ बच गया लेकिन उनकी दो अंगुलियां काटनी पड़ी अपने पूरे करियर में उन्होंने किसी फिल्म में दर्शकों को पता नहीं लगने दिया कि उनकी दो अंगुलियां नहीं हैं। वे खुद को ऐसे कैरी करती थीं और इतनी खूबसूरती से मूव करती थीं कि वो हाथ सामने होते हुए भी सबकुछ परफेक्ट लगता था।

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