
रुस में जानलेवा प्रशिक्षण ले रहे गगनयान मिशन के 4 भारतीय वायुसेना के जाबांज
-एक साल में होगी 5 साल की ट्रेनिंग
भारतीय वायुसेना के 4 जांबाज पायलट देश के महत्वाकांक्षी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए रूस में बेहद कड़ा प्रशिक्षण ले रहे हैं। रूस के गैगरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को जान तक को भी जोखिम में डालना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का बेहद गोपनीय तरीके से गैगरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण में करीब 5 साल लगते हैं, लेकिन भारतीय यात्रियों के लिए एक विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया गया है। इसके तहत 12 महीने में ही अंतरिक्ष यात्रा के लायक प्रशिक्षण दिया जाएगा। सबसे रोचक बात यह हैं कि इसी ट्रेनिंग सेंटर में भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने भी प्रशिक्षण लिया था। उनके बैकअप रहे रवीश मल्होत्रा ने भी स्टार सिटी में प्रशिक्षण लिया था।
मास्को के ठीक बाहर स्थित स्टार सिटी में अंतरिक्ष यात्री और वहां प्रशिक्षण ले रहे लोग पहली बार अंतरिक्ष में जाने वाले महान अंतरिक्ष यात्री यूरी गैगारिन की प्रतिमा के नीचे प्रशिक्षण ले रहे हैं। ट्रेनिंग सेंटर के प्रमुख पावेल व्लेसोव ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विशेष रूप से भारतीय अंतरिक्ष यात्री के लिए तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम को भारत की जरूरतों को ध्यान में रखकर भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय करके बनाया गया है। इसमें अंतरिक्ष और शारीरिक प्रशिक्षण के अलावा उन्नत इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई हो रही है। अगले एक साल में ये भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान के सभी पहलुओं से अवगत हो जाएंगे। इससे उन्हें गगनयान को उड़ाने में काफी आसानी होगी।
बात दे कि पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम रूसी भाषा में है,इसकारण अंग्रेजी बोलने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूसी भाषा सीखनी पड़ रही है। व्लेसोव ने कहा कि सोयूज अंतरिक्ष यान के अंदर सभी दस्तावेज और निर्देश रूसी भाषा में हैं। रूसी प्रशिक्षक भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को रूसी सीखाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं ताकि 12 महीने के तय समय में प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा हो सके। उन्होंने कहा कि सभी प्रशिक्षक रूसी के साथ-साथ अंग्रेजी भी अच्छे से बोल लेते हैं। हालांकि रूस के नियम कहते हैं कि प्रशिक्षण रूसी में ही दिया जाएगा। इसकारण भारतीय यात्रियों को रूसी सीखना पड़ रहा है। प्रशिक्षण के दौरान भारतीय यात्रियों को जिंदा रहने के तरीके सीखाए जा रहे हैं। इसके तहत उन्हें बताया जा रहा है कि जब अंतरिक्ष से लौटने पर कुछ गड़बड़ी होने पर क्या करें। इस समय भारतीय यात्री मास्को में जंगल और दलदल के बीच अपना समय बिता रहे हैं, जहां कई खूंखार जंगली जानवर ही उनके साथी हैं। पहले उन्हें क्लास रूम में ट्रेनिंग दी जा रही है और उसके बाद उन्हें दो दलों में 3 दिन और 2 रातों के लिए जिंदा रहने की वास्तविक ट्रेनिंग दी जाएगी। इस दौरान डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी करेगी। भारतीय यात्रियों को मास्को की जमा देने वाली ठंड और बर्फ से भरे जंगल के बीच खुद को बचाए रखना बहुत चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है। इस प्रशिक्षण के बाद अंतरिक्षयात्रियों को एक हफ्ते की छुट्टी दी जाएगी ताकि वे ठीक हो सकें।
दरअसल रुस के स्टार सिटी में प्रशिक्षण ले रहे भारतीय यात्रियों के लिए भाषा ही नहीं खाना भी चुनौती बना हुआ है। अंतरिक्षयात्रियों और उनका प्रशिक्षण देखने आ रहे अतिथियों को रूसी खाने में सिद्धहस्त होना पड़ रहा है। रूसी खाना भारतीय खाने से काफी अलग है। भारतीय यात्रियों के इस संकट का समाधान निकालने के लिए ट्रेनिंग सेंटर के कूक अपने अतिथियों की पसंद के हिसाब से खाना बना रहे हैं। यहां तक कि शाकाहारी खाना भी अतिथियों को दिया जा रहा है। भारतीय यात्रियों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए खाने के आइटम से बीफ को हटा लिया गया है।