
कोरोना संक्रमण के चलते चीन से घटी सप्लाई, जल्द खत्म हो सकता है जरूरी दवाओं का स्टॉक
कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच सरकार ने उन महत्वपूर्ण और जरूरी दवाइयों की पहचान की है, उनका स्टॉक जल्दी ही खत्म हो सकता है। एमॉक्सिसिलिन, मॉक्सिफ्लॉक्सासिन, डॉक्सिसाइक्लीन जैसी एंटीबायोटिक और ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी) की दवा रिफैंपिसिन जैसी दवाएं अब काफी कम मात्रा में बची हैं। इन दवाइयों को बनाने में प्रयुक्त होने वाला पदार्थ चीन से आयात किया जाता है। कोरोना के कारण चीन से आने वाली सप्लाई पर असर पड़ा है। उधर, एक उच्चस्तरीय सरकारी समिति ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट फार्मास्युटिकल विभाग को सौंपी थी। उसमें 54 दवाओं की समीक्षा की गई थी। उनमें से 32 को बेहद जरूरी बताया गया था। इनमें 15 दवाइयां नॉन-क्रिटिकल श्रेणी की हैं।
पैनल ने कुछ समय पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से कुछ ऐसी दवाओं की समीक्षा करने को कहा था, जिनके एपीआई (एक्टिव फार्मा इनग्रेडिएंट) के लिए भारत पूरी तरह चीन पर निर्भर है। काउंसिल को ऐसी दवाओं के विकल्प सुझाने को भी कहा गया था। रिपोर्ट में बताया गया कि रिव्यू की गई दवाओं में से 32 ऐसी हैं, जिनका कोई विकल्प नहीं है। ये दवाएं कई श्रेणियों की हैं। आईसीएमआर ने जिन दवाओं की समीक्षा की थी, उनमें से 38 नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस (एनऐलेईएम) का हिस्सा हैं। शेड्यूल 1 के तहत इनकी सस्ते दाम पर बिक्री की जाती है।
एनएलईएम में शामिल दवाओं की अच्छी संख्या में उपलब्धता होनी चाहिए। इनकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। साथ ही इनकी तय दाम पर बिक्री होती है। चीन में कोरोना वायरस फैलने के कारण प्रॉडक्शन ठप पड़ा है। इसके मद्देनजर कंपनियों ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। मैनकाइंड के सीएमडी आर सी जुनेजा ने बताया, 'एमॉक्सिसिलिन एक महत्वपूर्ण एपीआई है, जिसका मॉक्सिकाइंड-सीवी जैसे एंटीबायोटिक्स के उत्पादन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
चीन में बनी स्थिति के चलते दवाओं की कमी की चिंता के बीच हमने विक्रेताओं को भारी मात्रा में ऑर्डर दिए हैं। इसके लिए हमें 100 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े हैं। हालांकि, अप्रैल मध्य तक हालात ऐसे ही रहे तो दवाओं की काफी कमी हो जाएगी। डॉक्टरों को भी चिंता है कि टीबी के इलाज में काम आने वाली रिफैंपिसिन जैसी जरूरी दवाओं की कमी खतरनाक साबित हो सकती है। एक डॉक्टर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इस ड्रग की बिक्री नहीं रुक सकती है। इसकी सप्लाई बिगड़ने से बड़ी मुश्किल हो जाएगी। भारत दवाओं के उत्पादन में काम आने वाले एपीआई और इंटरमीडियरीज के लिए चीन पर काफी निर्भर करता है। रिपोर्ट में कहा गया कमेटी एपीआई और केएसएम का महत्व समझते हुए आईसीएमआर से आग्रह करती है कि इन दवाओं के विकल्प ढूंढे जाएं।