
नहीं मिला हज जाने का मौका, जारी है नाराजगी
मदीना में हाजियों के रुकने की संख्या में कर दी कमी
प्रदेश की राजधानी भोपाल के अलावा रायसेन और सीहोर जिले के करीब 933 आवेदकों में से 200 लोगों के हज यात्रा पर जाने के लिए चयन हुआ है। सैकडों की संख्या में आवेदकों को हज करने का मौका नहीं मिला, इससे उनमें नाराजगी है। इसकी वजह मदीना में हाजियों के रुकने की संख्या में कमी कर देना बताया जा रहा है। अब तक जारी व्यवस्था के अनुसार मक्का में करीब 230 हाजियों के ठहरने की मुफ्त व्यवस्था रहती थी, जबकि मदीना में रियासत के सभी हाजियों को ठहरने की निशुल्क व्यवस्था होती थी। मदीना में हाजियों के रुकने की संख्या में इस बार कमी कर दी गई है, इसलिए हज यात्रियों की संख्या में कमी कर दी गई है। इसके चलते कई लोगों को हज पर जाने का मौका नहीं मिल पाया है, जिससे उनमें नाराजगी है। यहां बता दे कि राजधानी की मोती मजिस्द पर शुक्रवार को हज पर जाने के लिए कुर्रा (लॉटरी) निकाला गया। काजी-ए-शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी और शहर मुफ्ती अबुल कलाम की मौजूदगी में किए गए कुर्रा के दौरान बड़ी तादाद में हज आवेदक और शहरी मौजूद थे। ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी का कहना है कि वर्ष 1949 में हुए मर्जर के बाद करीब 23 साल तक रुबातों की व्यवस्था मसाजिद कमेटी के जिम्मे थी। लेकिन वर्ष 1972 में कर्नल मेहबूब ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते शाही औकाफ की रचना करवा दी और रुबातों का इंतजाम भी इसके हवाले कर दिया।
काजी अनस का कहना है कि अब शाही परिवार मौजूद नहीं हैं, इसलिए शाही औकाफ की अलग से व्यवस्था भी मायने नहीं रखती। नवाब परिवार द्वारा किए गए वक्फ की मंशा के मुताबिक काम करने के लिए इसका जिम्मा दोबारा मसाजिद कमेटी के हवाले किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि काजी, मुफ्ती, उलेमाओं की मौजूदगी वाले इदारे से रुबात की व्यवस्था संचालित होने से इसमें ईमानदारी और लोगों के हक की बात की उम्मीद की जा सकेगी। रुबात के बारे में कहा जाता है कि नवाब शासनकाल के दौरान सऊदी अरब के मक्का और मदीना में कुछ बहुमंजिला इमारतें बनवाई गई थीं। इनकी मंशा यह थी कि भोपाल रियासत (भोपाल, सीहोर और रायसेन जिले) के हाजियों को हज और उमराह के दौरान निशुल्क ठहरने की व्यवस्था मिल जाए। करीब 103 साल से जारी इस व्यवस्था का नतीजा यह है कि इन जिलों के हाजियों को आम खर्च की तुलना में करीब 45-50 हजार रुपए कम खर्च करने पड़ते हैं। इस बारे में शाही औकाफ के सचिव आजम तिरमिली कहना है कि मक्का के लिए सऊदी अरब से मिले कोटे के अनुसार हाजियों का चयन कर दिया गया है। मदीना रुबात का मामला जल्दी ही सुलझ जाएगा। भोपाल रियासत के सभी हाजियों को वहां ठहरने की सुविधा मिल सकेगी। मदीना रुबात को लेकर जारी विवाद में 23 मार्च को सुनवाई है। उम्मीद है कि इसमें सुकून देने वाला फैसला सामने आएगा।