समाचार-पत्रों से कोरोना संक्रमण घर तक पहुंचने की अफवाहों पर विराम लगाते हुए एक वैज्ञानिक शोध में दावा किया गया है कि समाचार पत्रों से यह महामारी नहीं फैलती है। दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का तर्क है कि यह वायरस तरल पदार्थों को सोखने में सक्षम चीजों पर जिंदा नहीं रह सकता है। इसलिए समाचार-पत्र बिल्कुल सुरक्षित हैं। यह नया शोध दुनिया की सबसे ज्यादा उल्लेख की जाने वाली पत्रिका न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। कोरोना फैलने का सबसे कम खतरा तांबे और गत्ते से है। ऐसा क्रमश: इनकी आणविक संरचना और तरल पदार्थों को सोखने की प्रवृत्ति के कारण होता है। जबकि कोरोना के संक्रमण का सबसे अधिक प्रसार छींक और प्लास्टिक एवं स्टील से होता है। यह संक्रमण प्लास्टिक एवं स्टील पर 2 से 3 दिनों तक जिंदा रह सकता है। हालांकि उस वक्त इसकी शक्ति क्षीण होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस प्रत्येक 66 मिनट में अपनी आधी ताकत खो देता है और यह उन चीजों पर सबसे लंबे समय तक जीवित रह सकता है, जो तरल पदार्थों को सोखने में सक्षम नहीं हैं। इस वायरस का असर 24 घंटे के बाद गत्ते पर नहीं रहता है, जबकि अखबारी कागज पर यह इससे भी बेहद कम अवधि तक जिंदा रहता है।
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कोरोना: समाचार-पत्रों से नहीं फैलता वायरस