कोरोना महामारी को रोकने के लिए पीएम मोदी द्वारा किए गए लॉकडाउन का असर शहरों में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर दिखने लगा है। कुल 1.2 करोड़ ट्रकों में से लगभग 60 फीसदी ट्रक शहरों तथा राजमार्गों पर फंसे हैं, क्योंकि पुलिस ने इनपर गैर-जरूरी' एफएमसीजी कार्गो लदा बताकर इनका परिचालन रोक दिया है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने कहा है कि इन ट्रकों को अपने गंतव्यों तक जल्द से जल्द पहुंचने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि वे उसपर लदे माल को उतारकर जरूरी सामानों को लादकर उन्हें उन बाजारों तक पहुंचा सकें, जो जरूरी सामानों की स्टॉक की कमी से जूझ रहे हैं।
एआईएमटीसी के अध्यक्ष कुलतरन सिंह अटवाल ने कहा, 'हमारे ट्रक आमतौर पर गांवों से सब्जियां लादकर शहर ले जाते हैं और वहां से लौटते वक्त वे एफएमसीजी कंपनियों का माल ढोते हैं। हमारे पास ट्रकों की संख्या कम हो गई है, क्योंकि अधिकतर ट्रकों पर लदे एफएमसीजी माल को गैर-जरूरी बताकर उन्हें रोक लिया गया है।' खासकर सुदूरवर्ती इलाकों तथा जिन राज्यों में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स नहीं हैं वहां के ड्रग होलसेलर्स, डिस्ट्रिब्यूटर्स तथा रिटेलर्स आपूर्ति में बड़ी बाधा का सामना कर रहे हैं। ड्रग मैन्युफैक्चरर्स तता रिटेलर्स का कहना है कि उनके गोदामों में करीब 15 दिनों का ही स्टॉक है, लेकिन अगर आपूर्ति में बाधा बरकरार रही तब पैनिक हो सकता है। खाली ट्रकों को कुछ सड़कों पर परिचालन की मंजूरी न देने से समस्या और बढ़ गई है। कुल 30 लाख में से कुछ ट्रकों ने शुक्रवार को परिचालन शुरू किया। सड़कों के दोनों तरफ ट्रकों के खड़े होने से बीच में थोड़ी सी जगह में परिचालन हो रहा है, जिससे बाजारों में आपूर्ति पूरी करने में बाधा उत्पन्न हो रही है। पूर्वोत्तर राज्यों में यह समस्या गंभीर है, जहां देश के विभिन्न हिस्सों से ईंधन और अन्य जरूरी सामान असम के जरिए पहुंचते हैं। मणिपुर के एक ट्रक चालक ठोकचाम ने बताया, 'सब्जियों, अनाज, बालू तथा सीमेंट लदे ट्रकों के साथ पेट्रोल तथा डीजल के टैंकर भी फंसे पड़े हैं।' उन्होंने कहा, 'एनएच315ए औरएनएच 515 सड़कें बेहद संकरी हैं।'
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60 फीसदी ट्रकों के सड़कों पर खड़े होने से जरुरी सामनों की आपूर्ति में दिक्कत