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डब्ल्यूएचओ के साथ कोरोना की दवा बनने में भागीदारी कर सकता हैं, भारत  10 हजार वेंटीलेटर की आपूर्ति की जिम्मेदारी 

डब्ल्यूएचओ के साथ कोरोना की दवा बनने में भागीदारी कर सकता हैं, भारत  10 हजार वेंटीलेटर की आपूर्ति की जिम्मेदारी 

 कोरोना के उपचार की दवा विकसित करने के लिये भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ दुनिया के तमाम देशों की साझेदारी वाली परीक्षण प्रक्रिया में अपनी भागीदारी कर सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की महामारी एवं संक्रामक रोग इकाई के प्रमुख डा.रमन आर गंगाखेडकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि परीक्षण के फलस्वरूप नई दवाओं की खोज हो सकेगी। उन्होंने कहा,उम्मीद है कि हम शीघ्र ही डब्ल्यूएचओ की परीक्षण प्रक्रिया में भागीदारी करने वाले है। उन्होंने कहा कि पहले भारत ने इसमें भागीदारी नहीं की थी। डॉ गंगाखेडकर ने कहा कि आईसीएमआर की भी प्राथमिकता कोरोना के संक्रमण की दवा को खोजना है। कोरोना का टीका विकसित करने के सवाल पर कहा कि इस दिशा में जैव प्रौद्योगिकी विभाग कार्यरत है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों के लगभग 30 समूह भी टीका विकसित करने की दिशा में प्रयासरत हैं। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कोरोना के संक्रमण की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान देश में इस वायरस के संक्रमण के 75 नए मामलों की पुष्टि हुई है और इस अवधि में चार मरीजों की मौत हुई है।
अग्रवाल ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के एक उपक्रम को 10 हजार वेंटीलेटर की आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में जरूरी उपकरणों की कमी को दूर करना के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को अगले एक दो महीने के भीतर 30 हजार अतिरिक्त वेंटिलेटर की खरीद सुनिश्चित करने को कहा गया है। दिल्ली सहित अन्य महानगरों से प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्यों के लिये पैदल ही पलायन करने के बारे में गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि इस स्थिति को रोकने के लिये संबद्ध राज्य सरकारों से प्रवासी मजदूरों के लिये भोजन और आश्रय के पुख्ता इंतजाम करने को कहा गया है। जिससे वे जहां हैं, वहीं सुरक्षित रह सकें। 
 

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