
कोरोना वायरस का प्रसार जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है मास्क और ग्लव्स की मांग भी उसी अनुपात में बढ़ रही है। कोरोना से जंग में देशों के बीच 'मास्क युद्ध' शुरू हो गया है। वायरस के चलते मेडिकल सप्लाई को लेकर अमेरिका से लेकर यूरोप तक वॉर छिड़ गई है। सभी देशों के बीच एक-दूसरे के ऑर्डर पर कब्जा करने की होड़ लगी हुई है। कई देशों का आरोप है कि अमेरिका बीच रास्ते ही उनके ऑर्डर को हथिया ले रहा। जर्मनी के अधिकारी अमेरिका पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। बर्लिन के एक वरिष्ठ अधिकारी एंड्रियाज गिजेल ने कहा कि अमेरिका मॉडर्न पायरेसी के लिए प्रतिबद्ध है और उनका आरोप है कि बर्लिन पुलिस के लिए आ रहे 2 लाख मास्क के शिपमेंट को अमेरिका की तरफ डाइवर्ट कर दिया गया, जब वह बैंकॉक पोर्ट से गुजर रहा था। उन्होंने कहा, 'आप अपने अटलांटिक साझीदारों के साथ ऐसा नहीं कर सकते। इस वैश्विक संकट के वक्त कोई असभ्य पश्चिमी पद्धति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।'
जर्मन मीडिया के मुताबिक, बर्लिन के लिए मास्क भेजने वाली कंपनी अमेरिकी मैन्युफैक्चरर 3एम है। लेकिन 3 एम ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि मास्क को जब्त कर लिया गया। 3एम के पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है कि चीन ने बर्लिन पुलिस के लिए कोई मास्क मंगवाया था। उधर, प्रोटेक्टिव उपकरण का निर्यात करने के लिए ट्रंप ने 3एम की आलोचना की है और कहा कि हमने उसपर कार्रवाई की है। वहीं, इस पर कंपनी ने जवाब दिया कि अगर हम निर्यात पर रोक लगा दें तो दूसरे देश भी हमसे बदले में वैसा ही करेंगी। हालांकि, वाइट हाउस के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि हमने लातिन अमेरिका और कनाडा सामान भेजने के लिए 3एम को नहीं रोका है।
वहीं, फ्रांस का आरोप है कि सरकारें प्रोटेक्टिव उपकरण का निर्यात रोक रही हैं। कई फ्रांसीसी अधिकारी इस मुद्दे को उठा चुके हैं कि उन्हें डिलिवरी मिलने में दिक्कत हो रही है क्योंकि दूसरे ग्राहक इस खेल में आगे निकल जा रहे हैं। फ्रांस के पीएम ई फिलिप ने गुरुवार को कहा था कि ऑर्डर किए हुए सामान की डिलिवरी पाने में कभी-कभी दिक्कत आती है और वे हमेशा डिलिवर नहीं होते। इसकी वजह चीन, अमेरिकी, यूरोप और पूरी दुनिया से भारी मांग है। फ्रांस के दो क्षेत्रों के प्रमुखों का आरोप है कि अमेरिकी ग्राहक चीन को तीन से चार गुनी कीमत देते हैं ताकि सप्लाई को डायवर्ट किया जा सके।स्पेन के विदेश मंत्री अरांचा लाया कहते हैं कि वेंटिलेटर के ऑर्डर के लिए पैसा भेज दिया गया है लेकिन अब तक तुर्की से सामान नहीं आया है। उन्होंने कहा, ' वेंटिलेटर का शिपमेंट तुर्की से अब तक नहीं भेजा गया है क्योंकि तुर्की की सरकार यह समझती है कि उनके यहां मरीजों के इलाज में यह जरूरी है।'