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कोरोना जानवरों पर रहने वाला वायरस नहीं  - इस महामारी के लिए क्या हम सब हैं जिम्मेदार?

कोरोना जानवरों पर रहने वाला वायरस नहीं  - इस महामारी के लिए क्या हम सब हैं जिम्मेदार?

कोरोना वायरस को लेकर अब यह बात सामने आई कि यह जानवरों पर रहने वाला वायरस नहीं है। लेकिन फिर भी इस बारे में यह बहस बनी हुई है कि यह चमगादड़ की वजह से फैला है। इस बीच चीन के वुहान का वो मार्केट बंद कर दिया गया। जहां वन्य जीवों को पकड़ लाया जाता था। यहां अलग-अलग जानवरों के जिंदा और उनका मांस बेचा जाता था। जिसमें ऊंट, कोआला, भेड़िये का बच्चा, झींगुर, बिच्छू, चूहा, गिलहरी, लोमड़ी, सीविट, जंगली चूहे, सैलमैन्डर, कछुए और घड़ियालों का मांस मिलता था। वहीँ, कोरोना को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स भी सामने आई थी जिनमें यह कहा गया था कि कोरोना खुद चीन की लैब की देन है। 
चीन ने ही इसे विकसित किया लेकिन एक गलती की वजह से ये वायरस पूरे चीन में फैल गया। हालांकि इस बारे में कोई पुख्ता खबर अभी तक सामने नहीं आई है। लेकिन सच क्या है इसकी अभी भी खोज की जा रही है। इस बीच कैलिफोर्निया में जेनेटिक सिक्वेंसेस को लेकर हुए एक शोध में इस संभावना से इनकार किया जा चुका है कि कोरोना वायरस प्रयोगशाला में तैयार किया जा सकता है। क्योंकि कोरोना वायरस एक परजीवी वायरस है इसलिए इसे लैब में तैयार नहीं किया जा सकता। साल 2002 से 2003 के बीच जिस तरह से सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम ने तबाही मचाई थी। कोरोना वायरस ने उससे कहीं ज्यादा तबाही मचाई है। 
जहां सार्स से 774 मौत ही हुई थी तो वहीँ दुनियाभर में कोरोना के कारण 60 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इस वायरस की चपेट में दुनियाभर के 160 देश हैं और 90 से ज्यादा देशों में इस वक़्त लॉकडाउन के हालात है। इतना ही नहीं दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका भी इससे नहीं बच सका है। ताजा ख़बरों के मुताबिक चीन के बाद अमेरिका कोरोना वायरस का दूसरा सबसे बड़ा हॉटस्पोर्ट बन गया है।कोरोना वायरस के लिए चीन को दोष देना गलत है। जैसा कि शोध भी कह चुके हैं कि चीन कोरोना के लिए जिम्मेदार नहीं है। लेकिन अब सवाल ये हैं कि फिर ये वायरस कैसे महामारी में बदल गया। अब तक जितने भी शोध हुए हैं उनसे एक बात सामने आई है कि कोरोना को आसानी से पहचान पाना मुश्किल है और यही इसको महामारी बनाता है। कुछ लोग जो कोरोना के मरीज हैं वो टेस्ट के बाद भी निगेटिव आते हैं लेकिन असल में वो पॉजिटिव होते हैं। कुछ ऐसे केस भी हैं जिनमें बहुत देरी से टेस्ट पॉजिटिव आते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो साइलेंट केस होते हैं।कई ऐसे शोध हैं जो बताते हैं कि कोरोना के मरीजों को पहचानना ही सबसे मुश्किल है। 
 

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