
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना के मरीजों के उपचार में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी कड़ी में भारत से भी मलेरियारोधी दवा अमेरिका को देने के लिए कह चुके हैं। इसी बीच अमेरिकी मीडिया में आ रही खबर के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति का फ्रांस की बड़ी दवा कंपनी सनोफी में ‘‘कुछ निजी आर्थिक हित हैं। ट्रंप ने भारत को चेतावनी देकर कहा कि व्यक्तिगत अनुरोध के बावजूद अगर अमेरिका को मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाई हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात नहीं करने पर जवाबी कार्रवाई हो सकती है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन एक पुरानी और बेहद कम मूल्य की (सस्ती) दवा है जिसका इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में होता है। राष्ट्रपति ट्रंप दवा को कोरोना संक्रमण के प्रभावी इलाज के रूप में देख रहे हैं। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक अगर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को उपचार के लिए स्वीकार कर लिया जाता है, तब कई दवा कंपनियों को फायदा होगा। इसमें राष्ट्रपति ट्रंप से जुड़े शेयरधारक और वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी भी हैं। ट्रंप का भी दवा कंपनी सनोफी में थोड़ा निजी वित्तीय हित है। सनोफी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के ब्रांड संस्करण प्लाक्वेनिल नाम से दवा बनाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जेनेरिक दवा बनाने वाली कई कंपनियां हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बनाने की तैयारी में है। इसमें भारतवंशी चिराग और चिंटू पटेल की एमनील फार्मस्यूटिकल कंपनी भी है।