
-अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रैट उम्मीदवार की रेस में आगे चल रहे भारत विरोधी बर्नी सैंडर्स के अपना नाम वापस लेने के साथ ही पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए रास्ता लगभग साफ हो गया है। बर्नी ने कश्मीर और पीएम मोदी पर बेहद आपत्तिजनक बयान भी दिए थे। कोरोना महासंकट से घिरे अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की तस्वीर लगभग साफ होती जा रही है।
रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन और वर्तमान राष्टपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला अब लगभग तय माना जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम पर भारत सरकार की करीबी नजर है। भारत और अमेरिका के बीच संबंध इन दिनों नए शिखर पर हैं। इसी को देखते हुए दोनों के बीच अच्छे रिश्ते अहम हो गए हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासन काल में उप-राष्टपति रहे जो बाइडन उन्हीं के स्वभाव के हैं। डेमोक्रैट्स का मानना है कि थोड़ा वामपंथी मध्यममार्गी रुझान वाली जो बाइडन की नीतियां डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक नीतियों को टक्कर देने के सबसे अच्छी हैं। भारत सरकार पहले बर्नी को लेकर चिंतित थी, लेकिन बाइडन के आने के बाद अब भारतीय राजनयिकों ने राहत की सांस ली है।
माना जा रहा है कि बाइडन भी थोड़ बहुत बदलाव के साथ बराक ओबामा की नीतियों को जारी रख सकते हैं या उनमें कुछ बदलाव कर सकते हैं। वर्ष 2015 में उपराष्ट्रपति रहने के दौरान बाइडन ने यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल समिट में कहा था कि अमेरिका चाहता है कि कैसे भारत उनका 'सबसे अच्छा मित्र' बने। हालांकि ओबामा के शासनकाल में ट्रंप की तरह भारत-अमेरिका के संबंधों में 'उल्लास' नहीं था।
विश्लेषकों के मुताबिक जो बाइडन अब अगर अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो ओबामा के दिनों की तरह से फिर से दोनों के बीच संबंध और आगे बढ़ेंगे। इससे भारत को फायदा होगा। ओबामा के कार्यकाल के दौरान ही भारत को अमेरिका ने रणनीतिक वैश्विक साझीदार का दर्जा दिया था। माना जा रहा है कि बाइडन के कार्यकाल में भी भारत का यह दर्जा जारी रह सकता है। दूसरी ओर, कोरोना संकट के बाद भी अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की लोकप्रियता बनी हुई है और उनकी दोबारा वापसी की पूरी संभवना हैं। हालांकि अगर अमेरिकी सत्ता में परिवर्तन भी होता है, तो भारत उसके लिए तैयार है।