
यूं तो निमोनिया दुनियाभर में आम है और इसकी दवाएं भी उपलब्ध हैं लेकिन, कोरोना वायरस जिस तरह का निमोनिया पैदा करता है वो बहुत घातक होता है और इसके होने पर मरीज की मौत की आशंका काफी अधिक बढ़ जाती है। रॉयल ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के अध्यक्ष और दुनियाभर में मशहूर प्रो. जॉन विल्सन इस संबंध में शोध कर रहे हैं। उन्होंने काफी मरीजों के फेफड़ों के सीटी स्कैन कराए और सभी में एक तरह का खास पैटर्न उभरकर सामने आता है। कोरोना वायरस इंसान के फेफड़ों के बाहर से एक लेयर बना लेता है, जो एक प्रकार की जैली जैसा दिखता है। जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, वैसे-वैसे यह फेफड़ों को फूलने की जगह को कम करता चला जाता है। इसका असर यह होता है कि शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कम होती चली जाती है और अंत बहुत कष्टकारी होता है। प्रो. विल्सन बताते हैं कि कोरोना संक्रमित छह मरीजों में से केवल एक ही गंभीर रूप से बीमार पड़ता है। रेस्परेटरी ट्री (श्वसन तंत्र) में सूजन आ जाती है। इससे शरीर भयंकर परेशानी महसूस करता है। यहां तक कोरोना संक्रमण की तीसरी स्टेज चल रही होती है। प्रो. विल्सन बताते हैं कि शरीर की ही गैसों के माध्यम से कोरोना छिटककर फेफड़ों के निचले हिस्से में पहुंच जाता है और वहां सूजन पैदा कर देता है।फ्लूड के माध्यम से यह तेजी से फैलता है और फेफड़े के ऊपरी हिस्से में भी पहुंच जाता है। होती है भयंकर परेशान जैसे-जैसे कोरोना वायरस फेफड़ों को अपनी जद में लेना शुरू करता है वैसे- वैसे फेफड़ों की ऑक्सीजन हासिल करने और उसे छोड़ने की क्षमता कम होना शुरू हो जाती है। इसके साथ ही शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड जमा करके उसे बाहर छोड़ने की प्रक्रिया भी प्रभावित हो जाती है, जिससे कई तरह की दिक्कतें शरीर में पैदा होने लगती हैं। पूरा श्वसन तंत्र बैठने लगता है और पूरे शरीर की कोशिकाएं भारी दबाव में आ जाती हैं। बता दे कि कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे वैज्ञानिकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पहले तो यह कैसे एकदम सटीक रूप से फैलता है, किन लोगों पर इसका भयानक असर पड़ता है, कैसे कोरोना मानव शरीर पर अपना भयानक असर छोड़ता है, क्यों एक चौथाई संक्रमितों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है।