
समुद्री शैवाल (लाल काई) से कोरोना के जानलेवा प्रकोप को रोकने की राह निकल सकती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े वैज्ञानिकों का दावा है कि समुद्री लाल शैवाल से तैयार होने वाले जैव रासायनिक पाउडर को सैनिटरी की वस्तुओं पर कोटिंग की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे एंटीवायरल दवा बनाना भी संभव हो सकता है। रिलायंस के वैज्ञानिकों का कहना है कि जलीय जीवों, बैक्टीरिया, फंगस आदि में वायरस से होने वाली बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है। पॉलीसैचराइड्स जैसे अगर, एल्गीनेट, फ्यूकोडियन आदि कुछ ऐसे प्राकृतिक तत्व है, जिनमें एंटीवायरल खूबी होती है। इस अध्ययन में सल्फेट वाले पॉलीसैचराइड्स के स्रोत माने जाने वाली समुद्री लाल काई पॉर्फिरीडियम को कोरोना से लड़ने में कारगर बताया गया है।
वैज्ञानिकों ने इसके लिए अब तक उपलब्ध डाटा का हवाला दिया है। पॉर्फिरीडियम से मिलने वाले पॉलसैचराइड्स को एंटीवायरल खूबी और इम्युनिटी बढ़ाने वाला माना जाता है। रिसर्च पेपर के अनुसार, काई से प्राप्त सल्फेटेड पॉलीसैचराइड्स से कोरोना वायरस की वजह से सांस की नली में होने वाले संक्रमण की रोकथाम या इलाज के लिए उपयुक्त एंटीवायरल फार्मास्युटिकल कंपोजिशन तैयार करने में मदद मिल सकती है।