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18 नहीं, 30 साल में होता है दिमाग का पूरा विकास -टीनेज खत्म होने पर खत्म हो जाती परेशानियां

18 नहीं, 30 साल में होता है दिमाग का पूरा विकास  -टीनेज खत्म होने पर खत्म हो जाती परेशानियां

मस्तिष्क शोधकर्ताओं की मानें तो दिमाग का पूरा विकास 18 नहीं बल्कि 30 साल की उम्र में जाकर पूरा होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि व्यक्ति के मस्तिष्क में तंत्रिकाओं (नर्व्स) के कार्य, विकास और छंटाई से जुड़ी प्रक्रिया गर्भ से शुरू होकर कई दशकों तक जारी रहती है। दिमाग के विकास की प्रक्रिया व उससे होने वाले बदलावों का युवाओं के व्यवहार पर अहम प्रभाव पड़ता है। यह उन्हें मानसिक परेशानी के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है। किशोरावस्था के दौरान बच्चों में अक्सर व्यवहार से जुड़ी परेशानियां देखी जाती हैं। इसे इस उम्र में दिमाग में होने वाली उथल-पुथल से जोड़कर देखा जाता है और माना जाता है कि टीनेज खत्म होने पर यह परेशानियां खत्म हो जाती हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में न्यूरोसाइंटिस्ट प्रफेसर पीटर जोन्स के मुताबिक, 'बचपन से वयस्कता में पहुंचने को लेकर जिस परिभाषा को मानते आए हैं वह अब बेतुकी लगने लगी है।''बचपन से वयस्कता की ओर दिमाग का विकास काफी सूक्ष्म होता है और करीब तीन दशक तक जारी रहता है। शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून व्यवस्था ने अपनी सुविधा के लिए इसकी परिभाषा तय की है।' हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ये प्रणालियां खुद में बदलाव लाती रही हैं। भले ही अडल्टहुड की कानूनी परिभाषा कुछ भी हो लेकिन अनुभवी न्यायाधीश 19 साल के अभियुक्त और 30 की उम्र को पार कर चुके अपराधी के बीच में फर्क जानते हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रफेसर डेनियल गेश्‍विंद ने इस बात पर जोर दिया कि हर व्यक्ति के मस्तिष्क के विकास का स्तर अलग-अलग होता है। उन्होंने कहा कि व्यावहारिक कारणों से, शिक्षा प्रणालियों ने व्यक्तियों के बजाय समूहों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए गलती की है। उनके मुताबिक, टीनेज और अर्ली ट्वेन्टीज में स्किट्जोफ्रेनिया के लक्षण दिखाई देना आम है। एक बार मस्तिष्क अपने सर्किटों को छांट ले और पूर्ण रूप से उसका विकास हो जाए तब व्यक्ति में किसी प्रकार की मनोविकृति का खतरा कम हो जाता है। वैज्ञानिकों ने स्किट्जोफ्रेनिया जैसी मनोवैज्ञानिक स्थितियों पर पड़ने वाले पर्यावरण के प्रभाव पर भी चर्चा की। 

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