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मृत्यु महोत्सव- एक तैयारी  

मृत्यु महोत्सव- एक तैयारी  

एक राजा ने राज्य ज्योतिषी को अपने भविष्य के बारे जानने बुलाया। ज्योतिषी ने कुंडली देखकर और कुछ सोचकर बताया की आपकी मृत्यु  इन सात दिनों में होंगी। राजा घबराया और फिर शांत चित्त से सात दिनों की तैयारी   करने लगा। एक दिन अपने ऊपर जो भी लेन देन हैं  उसमे लगाया ,उसके बाद अपने धन का बंटवारा कैसे किया जाय ,अपने नाते रिश्तेदारों को बुलाया ,उसके बाद जिनसे उनकी दुश्मनी थी उनको बुलाया और इस प्रकार जब आठवे दिन उसकी मृत्यु नहीं हुई तो उसने ज्योतिषी को बुलाया और कहा.आपकी  भविष्यवाणी गलत हुई तब ज्योतिषी ने विनय पूर्वक कहा महाराज तुम्हारी क्या सभी की मृत्यु इन सात दिनों में ही होना हैं। सात वारों में।  
इस समय कोरोना वायरस के कारण प्रत्येक जीव अपने भविष्य के प्रति भयभीत हैं। इस समय मौत को उत्सव के रूप में देखो। अपनी मृत्यु कभी भी आ जाये तैयार रहों। हमें अपने जिंतने भी अधूरे कार्य हैं उन्हें पूरा करो ,अपना हिसाब किताब साफ़ सुथरा रखो ,लेना देना सबकी जानकारी में हो ,अपना बैंक आदि में संयुक्त खाता खोलकर निश्चिन्त रहो। अपनी चाहो तो वसीयत तैयार करलो
और सबसे महत्वपूर्ण बात जिनसे हमारी दुशमनी रही हैं उनसे क्षमा भाव से क्षमा मांगलो। इस समय समता भाव रखो ,बहुत शांत भाव रखो। यह भी सोचो हम क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जायेंगे। मात्र इस समय शांत भाव ,समता भाव ,वीतराग भाव रखकर शुभ भाव रखकर शुद्ध भाव का चिंतवन करो। 
अरि मित्र महल मसान कंचन काच निन्दन थुति करन.
अर्घावतारन असि- प्रहारन में सदा  समता  धरन। 
कोई बुरा कहें या अच्छा लक्ष्मी आवे या जावे ,
अनेक वर्षों तक जींउ या मृत्यु आज ही आ जावैं। 
किसी ने कहा हैं जिंदगी, कुल चार दिन की
जन्म और मरण दिन निकाल दो, हो गयी दो दिनों की।
(लेखक-डॉक्टर अरविन्द जैन )

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