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कोरोना से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत है 

कोरोना से डरने की नहीं लड़ने की जरूरत है 

कोरोनावायरस का संक्रमण नवंबर 2019 में चीन के बुहान शहर से शुरू हुआ। 3 माह तक यह चीन में ही फलता फूलता रहा।  उसके बाद चीन के वुहान शहर से यह वायरस, दुनिया के लगभग 200 देशों में फैल गया है भारत में कोरोनावायरस के बचाव के लिए भारत सरकार ने पहले 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया। उसके बाद दूसरे चरण में लगभग 19 दिन का लॉकडाउन लागू किया। कुल मिलाकर भारत में 40 दिन का लॉकडाउन लागू है। इस दौरान सारी गतिविधियां लगभग लगभग बंद हैं। पूरा भारत पिंजड़ों में कैद होकर रह गया है।
कोरोना संक्रमण ने देश के नागरिकों को इस तरीके से डरा दिया है, जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता ही खत्म हो गई है। कोरोना से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत है। यदि हम कोरोना से लड़ेंगे, तो हमारी शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बढेगी। हम आसानी से इस संक्रमण का मुकाबला कर पाएंगे। भारत में पहले भी प्लेग,क्षय रोग, पोलियो, लीवर ,सार्स तथा अन्य संक्रमण से लड़ते रहे हैं। भारत के डॉक्टर और भारत की चिकित्सा पद्धति कोरोनावायरस से निपटने में पूर्ण रूप से सक्षम है।ऐसी स्थिति में हमें बजाय डरने के लड़कर  अपना बचाव किस तरह से किया जाए। इसकी समझ बनाने की जरूरत है। नाकि लाकडाउन लागू करके सबको घर बैठा देने की है।
पिछले 5 माह में चीन से शुरू हुआ, कोरोनावायरस के संक्रमण का शरीर में प्रभाव, उपचार तथा उससे बचने के तरीके अब सारी दुनिया के सामने लगभग स्पष्ट हो चुके हैं।कोरोनावायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता चला जाता है। इसकी चैन तोड़ना जरूरी है। इसके लिए मास्क पहनना,लोगों से निश्चित दूरी बनाए रखना, साबुन से बार-बार हाथ धोना तथा जिन चीजों के संपर्क में हम आते हैं। उन्हें समय-समय पर सैनिटाइज करके  संक्रमण से बचाव कर सकते हैं। जो लोग अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं। जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उनके लिए बहुत सावधानी की जरूरत है।  ऐसे लोगों को कम से कम लोगों से मिलना चाहिए ताकि वह कोरोनावायरस के शिकार नहीं हो यह सावधानी जरूरी थी कोरोनावायरस का सबसे बड़ा प्राथमिक उपचार एवं बचाव एकमात्र यही था। 
पिछले 5 माह में स्पष्ट हो गया है, कि कोरोनावायरस से संक्रमित व्यक्ति पर इसका असर 14 दिन की अवधि में होता है।  कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को पहले बुखार आता है।  उसके बाद गले में लगभग 3 दिनों तक वायरस फैलता है।  जिससे गले में खांसी खरास जैसे लक्षण सामने आते हैं । उसके बाद यह वायरस श्वास नली में जाकर बड़ी तेजी के साथ एकत्रित होकर मोटी लेयर बना लेता है। इस कारण संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में बहुत तकलीफ होती है।  फेफड़े में सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाने के कारण, सबसे ज्यादा मौत होती हैं।  जिन लोगों को पहले से ही हॉर्ट, शुगर, ब्लड प्रेशर, कैंसर एवं अन्य बीमारियां होती हैं। उन्हें वायरस का संक्रमण ऐसा हो जाता है, तो उनको बचाना बहुत मुश्किल होता है ऐसे मरीजों के लिए वेंटिलेटर बहुत जरूरी होता है।  वेंटिलेटर से ऑक्सीजन मिलने के बाद कई दिनों के बाद उन्हें सामान्य स्थिति में लाकर मौत से बचाया जा सकता है।
संक्रमण से बचाव का भारत के घर-घर में उपचार
जिस तरह बारिश आने के पूर्व हम पानी से बचाव के उपाय पहले ही कर लेते हैं।  कोरोनावायरस को लेकर हमें कई माह पूर्व इसकी सूचना मिल गई थी। कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव के लिए प्रत्येक व्यक्ति को सजग करने की जरूरत थी।  गले में कोई भी तकलीफ शुरू होने पर, घर-घर में गर्म पानी में नमक अथवा हल्दी डालकर गरारा करना घरेलू उपचार में शामिल है।  इसी तरह घरेलू उपचार में तुलसी,लौंग, काली मिर्च, सेंधा नमक, अदरक इत्यादि का काढ़ा बनाकर पीना घरेलू उपचार में शामिल है। पिछले कई दशकों से इसके परिणाम से हर व्यक्ति वाकिफ है।  कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज के गले में 3 दिन तक यह वायरस बड़ी तेजी के साथ फैलता है।  इस बीच गरारे और काढ़ा प्राथमिक उपचार उपचार है।  बुखार और गले में कुछ तकलीफ होने पर भारतीय चिकित्सक यदि आवश्यकतानुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा तथा एलोपैथी चिकित्सा करते हैं, तो यह वायरस अपने आप समाप्त हो जाता है। कोरोनावायरस को लेकर जब सारी चीजें स्पष्ट हो चुकी है। भारतीय चिकित्सा पद्धति में इसका उपचार भी था।  ऐसी स्थिति में इससे डरने की बजाय हमें लड़ने की जरूरत थी।  लेकिन हो उल्टा हो रहा है।  हम सभी लोग डरकर शरीर के अंदर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर रहे हैं।
भगवान ने मनुष्य के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता घटाने और बढ़ाने की ताकत जन्म के साथ ही दे रखी है। शरीर अपने अंदर आसानी से किसी अन्य वायरस को प्रवेश नहीं करने देता है। यदि कोई प्रवेश करता है, तो उसकी प्रतिरोधक क्षमता शरीर के अंदर लार के रूप में जो रसायन बनता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता उससे लड़ती है। जो वायरस शरीर को सूट नहीं करते हैं। मस्तिष्क उनसे लड़ने के संकेत भेजता है। तब शरीर के अंदर की जैविक संरचना उसे बाहर निकालने में एकजुट हो जाती है। वर्तमान संदर्भ में हम डरकर कोरोनावायरस का मुकाबला करने के स्थान पर डरकर प्रतिरोधक क्षमता घटा रहे है।
40 दिन के लॉकडाउन से शारीरिक, पारिवारिक, आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर भारी नुकसान
भारत में जिस तरह से लॉक डाउन लागू किया गया है।  उसने सभी को घरों के अंदर बंद कर दिया है। जिससे प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता घट गई है। भय के कारण आत्मविश्वास भी खत्म हो गया है। परिवार के सदस्यों के बीच आत्मीय रिश्तो की जगह दूरियां बनना शुरू हो गई हैं। प्रत्येक व्यक्ति सेल्फिश होता दिख रहा है।  कोरोनावायरस के भय से पड़ोसी,पड़ोसी से बात नहीं कर रहा है।  रिश्तेदार और पड़ोसी कंधा देने के लिए नहीं आ रहे हैं। कोई भी व्यक्ति किसी की सहायता करने के लिए तैयार नहीं है।  पड़ोसियों, मित्रों और रिश्तेदारों के बीच एक दूसरे को भूत की तरह मानकर उससे डर रहे है। कोरोनावायरस कुछ दिनों में खत्म हो जाएगा।  लेकिन "कोरोना के नाम पर जो डरोना वायरस" ने जो दूरियां बना दी हैं। डर के कारण- शारीरिक, पारिवारिक, सामाजिक, पड़ोसियों तथा आर्थिक सोच को बदल दिया हैं। वह कैसे दूर होंगी। लोगों का आत्मविश्वास कब जागेगा, ऐसा डरा हुआ इंसान भारत में इसके पहले कभी भी नहीं दिखा।
सावधानियां जरूरी
कोरोनावायरस के संक्रमण को देखते हुए, फिजिकल डिस्टेंसिंग की जरूरत है। दूर से रहकर आपस में बात करें। अपने चेहरे पर अनिवार्य रूप से मास्क लगाकर रखें। समय-समय पर अपने हाथ और मुंह को साबुन से धोकर अथवा सैनिटाइजर से साफ करें। रोज बाहर से आने पर अपने कपड़े बदले। जिन चीजों का आप उपयोग कर रहे हैं, उनको सैनिटाइज करें। अपने साथ सैनिटाइजर रखें। किसी दूसरी वस्तु के संपर्क में बाहर आते हैं। उसके बाद आप तुरन्त सैनिटाइज कर ले। इससे कोरोना वायरस से बचाव होगा। घरेलू उपचार के रुप में गरम पानी, चाय, काफी का सेवन करें। ठंडी चीजों का सेवन नहीं करें। यदि आप ऐसा कर लेते हैं, तो कोरोनावायरस से आपका बचाव होगा। पिछले 5 माह के अनुभव और उपचार से यही बात निकलकर सामने आई है। हर देश का खान पान रहन-सहन और चिकित्सा पद्धति अलग अलग है। कोरोनावायरस का भी प्रभाव हर देश मैं अलग अलग तरीके से होगा।  हमें समझदारी से कोरोनावायरस से लड़ना होगा। वायरस से लड़ने का भारत के पास 100 साल का इतिहास है।  ऐसा डर इसके पहले कभी नहीं था, जो आज देखने को मिल रहा है। भाई-भाई, पड़ोसी-पड़ोसी, रिस्तेदार, समाज अपने उत्तरदायित्व को भूलकर डरकर घरों में बैठ गए हैं। इससे सामाजिक एवं पारिवारिक रिस्तों को बड़ा धक्का लगा है।
(लेखक-सनत जैन )
 

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