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कोरोना वायरस बनाम तव्लीगी वायरस  

कोरोना वायरस बनाम तव्लीगी वायरस  

कोरोना वायरस जैसी विष्वब्यापी महामारी का दौर षायद ही कभी देखने को मिला हो । जिसके चलते कमोवेष पूरा विष्व कराह रहा हो । यहॉ तक कि आधुनिक संसाधनों और चिकित्सा सुविधाओं से लैस पष्चिमी राश्ट्र भी अपने आपको असमर्थ महसूस कर रहे हैं। यहां तक कि विष्व का सबसे सम्पन्न एवं षक्तिषाली राश्ट्र अमेरिका भी अपने आपको बेवस एवं असमर्थ महसूस कर रहा है । स्थिति यह है कि विष्व में 15s लाख से ज्यादा लोगो को कोरोना का संक्रमण हो चला है, जिसमें 95sं हजार लोगो की मृत्यु हो चुकी है । भारत में भी अभी तक अमूमन छ: हजार से ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं, और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है । जहॉ तक कोरोना का भारत से संबंध है, तो यह अच्छा ही हुआ कि मोदी सरकार ने षुरूआती दौर में 22 मार्च को ही लॉकडाउन घोशित कर दिया । जबकि इस मामले में लापरवाही करने वाले राश्ट्र खास तौर पर इटली, स्पेन, फ्रांस और अमेरिका जैसे राश्ट्र इसका खामियाजा भुगत रहे हैं । 
कोरोना के आरम्भिक चरण में ही सरकार ने जिस तरह से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुये लॉकडाउन घोशित किया  और त्वरित दूसरे जरूरी कदम उठाये, उसके चलते लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि 14 अप्रैल यानी कि लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने तक स्थिति यदि पूरी तरह नहीं, तो बहुत कुछ सामान्य हो जाएगी और देष का कामकाज सामान्य ढंग से चलने लगेगा । ऐसी उम्मीद और अपेक्षा सर्वथा प्रत्यासित थी । 
लेकिन 22 मार्च को लॉकडाउन घोशित होने के पष्चात कोरोना महामारी के अलावा एक दूसरी महामारी तव्लीगी जमात के बतौर भारत में आई । उल्लेखनीय है कि तव्लीगी जमात मुसलमानों का एक ऐसा संगठन है जिसमें दुनिया के कई देषों के मुसलमान जुड़े हैं, और इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन में है । यह बताना भी उल्लेखनीय है कि दुनिया के कई देषों में जिसमें कुछ मुस्लिम देष भी हैं, अवांछनीय गतिविधियों के चलते तव्लीगी जमात प्रतिबन्धित है । पर भारत में एक लम्बे समय तक जिस ढंग से आतंकवाद और अलगाववाद को खाद-पानी दिया गया । उसके चलते यह संगठन भारत में न सिर्फ निर्बाध ढंग से अपनीं गतिविधियां चलाता रहा, वरन्् अपना मुख्यालय भी यहां कायम रख सका ।  
यू तो इस संगठन के लोगो का कहना है कि उनका संगठन एक धार्मिक संगठन है, जिसमें मुस्लिमों को एक सच्चा मुसलमान बनने के लिये तकरीरे की जाती हैं । पर असलियत में यह एक कट्टरपंथी और संकीर्ण विचारों का संगठन है, जिसका एकमेव उद्ष्ये एवं प्रयास जिस पान इस्लाम कहते ह,Sं वह है । कहने का तात्पर्य कि दुनिया के सभी मुसलमान एक हैं, यदि कोई देष इस्लामिक नहीं है और वहां षरिया लागू नहीं है, तो वह उस देष का कानून मानने को बाध्य नहीं है । कम से कम भारत जैसे देष में इसका एकमेव उद्ष्ये यही है कि मुसलमानों को देष की मुख्य धारा से अलग थलग रखा जाए । वह इस देष की संस्कृति ,परम्परा एवं विरासत से सर्वथा पृथक रहते हुये मात्र मुसलमान बनकर रहे । कुल मिलाकर मामला वहीं जाकर मोहम्मद अली जिन्ना की इस थ्योरी पर पहुचता है कि मुस्लिम एक अलग राश्ट्र है । 
पर मामला इससे भी ज्यादा गंभीर है । सुविज्ञ सूत्रों का यह कहना है कि विष्व की अधिकांष आतंकवादी घटनाओं में इस जमात की भूमिका रही है । यहां तक कि 9/11 के अमेरिका हमले से तो इसका संबंध रहा ही है,  तो फ्रांस में कई आतंकी वारदातो में इसका हांथ रहा है । भारत में वर्श 1999 में कंधार में विमान अपहरण और हरकतें मुजाहिद्दीन के कारनामों में भी इसकी भूमिका रही है । सूत्रों का दावा है कि अभी गत महीनों देष में सी.ए.ए. के विरोध में हिंसक वारदातें हुई उसमें पी.एफ.आई.( सिमी का नया संस्करण )  के अलावा इस संगठन का भी हांथ था । बड़ी हकीकत यह भी है कि तव्लीगी जमात के प्रमुख मोहम्मद साद द्धारा हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है , और इसके लिये बकायादा गुण्डे पले हुये हैं । इसी गुण्डागर्दी के चलते मो0 साद द्धारा इस संगठन पर कब्जा किया गया है । वर्श 2015 में मरकज में चाकूबाजी की घटना हो चुकी है । बंगलादेष में हिंसक वारदात करने के चलते यह संगठन प्रतिबंधित है । स्थित यह है कि गुंडई के बल पर वर्श 2016 में षूरा को समाप्त कर ( एक तरह से तव्लीगी जमात को चलाने वाली संस्था ) साद ने इस संगठन पर कब्जा कर लिया । 
कहने वाले कह सकते हैं कि तव्लीगी जमात की तुलना कोराना महामारी से कैसे ? वस्तुत : पूरा देष टी.वी. एवं समाचार -पत्रों के माध्यम से यह देख और पढ़ रहा है कि कैसे इस जमात के लोगो ने देष में कोरोना महामारी को गुणात्मक रूप से बढ़ाने में सप्रयास अपना योगदान किया । इस बात का पूरी तरह खुलासा हो चुका है कि अप्रैल माह के अंतिम दिनों में इस जमात के निजामुद्दीन स्थित कार्यालय जिसे मरकज कहा जाता है, वहां दो हजार से ऊपर जमाती रूके हुये थे । ऐसा तब जब देष में लॉक डाउन और एक हद तक र्कयू लागू था । इन लोगो में बहुत से विदेषी भी थे । स्वाभाविक है कि इनमें बहुत से कोरोना सकंमित थे और आपसी सम्पर्क और सोषल डिस्टेसिंग के अभाव में ये वहां उपस्थित लोगो में से अधिकांष को संक्रमित कर चुके थे । तस्वीर का दुसरा पहलू यह भी है कि अप्रैल के अन्तिम दिनों तक मरकज में उपस्थित बहुत से विदेषी मुसलमान कमोवेष ट्रेनों के माध्यम से पूरे देष में गये । अब इन्होंने ट्रेनों में ही कितने यात्रियों को संक्रमित किया, यह बहुत ही विशम परिस्थित है । इसके अलावा ये जहां भी गए, वहां मस्जिदों में छुपाये गये और दूसरी जगहों में भी छिपाए गये जिससे दूसरे और भी बहुत से लोग संक्रमित हुए । स्थिति थी कि तमिलनाडु जैसे प्रान्त में मार्च के अंतिम दिनों तक कोराना से संक्रमित लोगो की संख्या 50 से ऊपर नहीं थी, लेकिन तव्लीगी जमात के लोगो के चलते यह संख्या हजार तक पहुच गई है । सूत्रों का कहना है कि तमिलनाडु जैसे राज्य में कोरोना फैलाने में 95 प्रतिषत हिस्सेदारी तव्लीगी जमात की है , इसी तरह से कमोवेष दूसरे राज्यों में भी स्थिति रही । कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि देष में कोरोना वायरस फैलाने में जमात की 50 प्रतिषत की भागीदारी रही, ओर दिनों दिन नए-नए लोग संक्रमित होकर सामने आ रहे हैं, उसमें मूलत : जमात की ही भूमिका है । इसके अलावा इनके द्धारा कैसे प्रषासन से छिपने की कोषिस हुई, कैसे डाक्टरों, नर्सो पर थूका गया, कैसे जबरिया सामूहिक नमाज अदा करने की कोषिस की गई, कई जगह कैसे पुलिस एवं सुरक्षा बलों पर पथराव एवं हिंसात्मक गतिविधियां की गई, यह पूरे देष के सामने है । जबकि साउदी अरेबिया जैसे मुस्लिम राश्ट्र में कोराना की हिस्ट्री छुपाने पर एक करोड़ का जुर्माना है, और थूकने पर तो प्राण-दण्ड की सजा तय है। 
लाख टके का सवाल यह कि मुस्लिमों के एक वर्ग द्धारा इस देष के प्रति ऐसा रवैया क्यों ? कि देष के संकट को बढ़ा कर इसे बर्बादी की तरफ ले जाया जाए । निष्चित रूप से मुस्लिमों के एक बड़े तबको ने इसकी निंदा की है जो एक षुभ लक्षण है। लेकिन असुद्दीन औबेसी जैसे मुस्लिमों के ठेकेदार प्रकारान्तर से यह कहकर कि मुस्लिमों को निषाना बनाया जा रहा है, एक तरह से ऐसे कृत्यों का बचाव ही किया है । इस बात में सच्चाई दिखती है कि मोदी सरकार के कई कदमों के चलते निराषा और हताषा में किये जा रहे ये कृत्य हैं । निष्चित रूप से यह राश्ट्र के विरूद्ध युद्ध जैसा है, इसलिये सरकार को इस दिषा में कठोरतम कार्यवाही करने की जरूरत है ,क्योंकि यह राश्ट्र के स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ा प्रष्न है।  
(लेखक-वीरेन्द्र सिंह परिहार )

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