
लंदन। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए ब्रिटेन में लॉकडाउन 3 हफ्ते के लिए बढ़ दिया गया है। फॉरेन सेके्रटरी डॉमिनिक राब ने लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि अभी तक लगाए गए प्रतिबंधों का असर होने लगा है लेकिन फिर भी अभी ढील नहीं दी जा सकती है। राब ने साफ किया है कि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन खतरे के स्तर तक नहीं पहुंचा है लेकिन अस्पतालों और केयर होम्स में इन्फेक्शन फैला है। ब्रिटेन में अब तक 103,093 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं जबकि लोगों 13,729 की मौत कोरोना से हो चुकी है। लॉकडाउन के चलते इकोनॉमी को होने वाले खतरे की वजह से सरकार पर दबाव भी है। हालांकि, डाउनिंग स्ट्रीट पर प्रेस से बात करते हुए राब ने साफ किया कि इस वक्त लॉकडाउन के बीच इतनी ही ढील दी जा सकती है जितनी महामारी की इस स्टेज पर खतरे का कारण न बने। राब पीएम बोरिस जॉनसन की जगह प्रेस को अड्रेस कर रहे थे। जॉनसन कोरोना का इलाज कराने के बाद आराम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन खुलने के लिए जरूरी होगा कि हृ॥स् पर दबाव न हो, मृत्यु दर में कमी आए, इन्फेक्शन मैनेज करने के स्तर पर आ जाए, बड़े स्तर पर टेस्टिंग हो सके और पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) उपलब्ध हो और सेकंड वेव का खतरा कम हो।
न्यूयॉर्क में लॉकडाउन 15 मई तक बढ़ाया गया
न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू कुओमो ने राज्य में बंद की अवधि 15 मई तक बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि आंकड़े दिखाते हैं कि स्थिति में सुधार हो रहा है लेकिन हम जो कर रहे हैं उसे हमें जारी रखना होगा। कुओमो ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैं देख रहा हूं कि संक्रमण की दर और कम हुई है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के कोविड-19 केंद्र में 606 और लोगों की मौत हुई जो पिछले 10 दिनों में रोजाना के सबसे कम आंकड़े हैं।
जापान ने पूरे देश में लगाया आपातकाल
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के मद्देनजर आपातकाल की व्यवस्था पूरे देश में लागू करने की घोषणा की। इस घोषणा से क्षेत्रीय गवर्नर से लोगों को घर में रहने का आह्वान कर सकते हैं लेकिन कोई दंडात्मक या कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार दुनिया के अन्य देशों सख्त लॉकडाउन के मुकाबले यह व्यवस्था बहुत कमजोर है। आबे ने पहले तोक्यो समेत सात क्षेत्रों में एक महीने के लिए आपातकाल की घोषणा की थी, जहां हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई थी जिससे आपात चिकित्सा सेवा के धराशायी होने का खतरा उत्पन्न हो गया था।