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अवाम के दुश्मन ये कोरोना के संगी-साथी कौन....? 

अवाम के दुश्मन ये कोरोना के संगी-साथी कौन....? 

आज एक ओर जहॉ पूरा विश्व एक खतरनाक संक्रमण के दौर से गुजर रहा है विश्व की महान शक्तियॉ भी इस संक्रमण का कोई उपाय नही खोज पा रही है, और प्रतिदिन अपने हजारों नागरिकों को खो रही है,  
ऐसे में हमारे भारत के नेत्तृव की सूझ-बूझ व दूर दृष्टि से हमारा देश उस भयावह स्थिति से अब तक बचा हुआ है जो अमेरिका, इटली, फ्रांस आदि देशों में व्याप्त है, किन्तु हमारा सिर इस संक्रमण काल में भी शर्म से झुकने को इसलिए मजबूर है, क्योंकि हमारे देश में कुछ ऐसी देश विरोधी ताकतें है जो कोरोना की सहायक बनकर इस महामारी के रोकने वाले योद्वाओं पर जानलेवा हमले कर रही है, और देश में गंदी राजनीति का दंश फैलाकर पूरे देश को मौत के मुह में धकेलने का काम कर रही है 
और आश्चर्य यह है कि ये देश विरोधी तत्व कामोवेश पूरे देश में ही व्याप्त है, जिनके कारनामें व्यापक स्तर पर देखने सुनने को मिल रहे है, कभी कोरोना का ईलाज करने या नागरिको की जॉच करने वाले चिकित्साकर्मियों पर जानलेवा हमले हो रहें है तो कही मजदूरों के नाम पर भारी भीड़ एकत्र कर सरकार के प्रयासों को असफल करने के प्रयास किये जा रहे है, आज पूरा देश आयातीत महारोग से कम, अपने देश में उत्पन्न किए जा रहे इस आत्मघाती रोग से पीड़ित है। सबसे पहले तबलीगी जमात ने कोरोना के मुख्य केन्द्र दिल्ली में अपन विश्मल सम्मेंलन  में हजारों विदेशियों को बुलाकर पूरे देश मे तहलका मचाया, सरकार का कहना है कि यदि यह जमावड़ा नही होता तो आज देश में इस रोग का ऐसा विकराल रूप नही होता, किन्तु केन्द्र व राज्य सरकार की नाक के नीचे इतना बड़ा जानलेवा आयोजन हो गया और राज्य व केन्द्र दोनो की सरकारें सोती रही, जब यह सरकार को पता चला तो मजलिखि सम्मेलन स्थल से भागे और पूरे देश के विभिन्न अंचलो मे पहुच गए और चूंकि ये सभी हजारो लोग संक्रमण पीडित थे, इसलिए पूरे देश में उन्होने इस रोग को फैला दिया, यही नही जब इन्हे पकड़ा गया तो शासन-प्रशासन व स्वास्थ्यकर्मियों के साथ इन्होने बदतमीजी की। इस वाकयें को एक महीना हो गया और कोरोना महामारी ने विकराल रूप धारण कर लिया तब अब जाकर सरकार ने इस जानलेवा आयोजन के मुखिया व विदेशियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की है,अब सवाल यह है कि यह कदम उठाने में सरकार ने इतनी देरी क्यों की?क्या महज इसलिए कि ये लोग साम्प्रदायिक रूप से अल्पसंख्यक वर्ग से जुडे हुए है ? 
जो भी हो, देश में आज जब इस महारोग ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है तो कुछ विघ्न संतोषी तत्व पूरे देश में इस महारोग के विस्तार को रोकने वाले स्वास्थ्यकर्मियों व डॉक्टरो-नर्सो पर हमलें कर रहे है ? यह आज पूरे देश मे हो रहा है, देश का कोई भी अंचल इससे अछूता नही रहा है अब सरकार के सामने परेशानी यह है कि वे कोरोना से निपटे या अपने देश के कोरोना सहयोगियों से ? अब सरकार को ऐसे तत्वो से सख्ती से निपटना पड़ेगा, वर्ना ये तत्व भारत के लिए कोरोना से भी अधिक खतरनाक सिद्व होगा। 
अब जहॉ तक मजदूरों के नाम पर राजनीति करने वालों का सवाल है, मजदूरों की समस्याऍ सही है, अब  उनकी भूखों मरने जैसी स्थिति है, लाखो मजदूर परिवार अपने घरो से दूर है, यह चुनौति भी सरकार के सामने मुह बांए खडी है, जिससे सरकारों को बड़ी हमदर्दी के साथ निपटना है किन्तु इन मजदूरो की आड़ मे जो राजनीति का खेल जारी है, उससे भी सरकारों को सख्ती से निपटना होगा, इस तरह कुल मिलाकर आज केन्द्र व राज्य सरकारों के सामने अनैक चुनौतियॉ है, जिनसे सरकारों को बखूबी निपटना है और यही आज की मुख्य चुनौती है। 
(लेखक- ओमप्रकाश मेहता)

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