
उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को सांसद भुवन चंद खंडूरी की नाराजी काफी नुकसान पहुंचा रही है। दो बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे खंडूरी को रक्षा संबंधी संसदीय समिति के चेयरमैन पद से हटाने और उन्हें चुनाव में टिकट ना देने से उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ वातावरण बन गया है।
पौड़ी लोकसभा क्षेत्र से उनके बेटे कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे हैं। मनीष खंडूरी जगह-जगह अपनी सभा में यह कह रहे हैं कि उन्होंने अपने पिता के आंखों में दो बार आंसू देखे हैं। जब एक बार बहन की विदाई हुई थी और दूसरी बार जब उन्हें लोकसभा की रक्षा संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष पद से हटाया गया था। वे चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं की सहानुभूति बटोरने में सफल हुए हैं।
खंडूरी को टिकट नहीं दिए जाने और उन्हें रक्षा समिति के अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर उत्तराखंड के लोकसभा की 5 सीटों पर इसका असर पड़ता हुआ दिख रहा है। इन 5 सीटों पर सैनिकों पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की काफी बड़ी संख्या है। खंडूरी का उत्तराखंड में बहुत मान सम्मान है। पाकिस्तान में की गई। एयर स्ट्राइक का असर भी यहां पर नहीं दिख रहा है। कांग्रेस राफेल घोटाले को लेकर जो आक्रमण भाजपा और मोदी पर कर रही है। रक्षा समिति से खंडूरी को हटाए जाने से जनता कांग्रेस के आरोपों पर विश्वास करने लगी है। जम्मू कश्मीर की स्थिति भी बद से बदतर है।
उत्तराखंड में केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर विकास के नाम पर बड़े-बड़े उद्योगपतियों को जमीन देने,गाय, गंगा और गायत्री के नाम पर बनी सरकार के राज में गाय और गंगा की दुर्दशा, गंगा रक्षा को लेकर दो संतों स्वामी निगमानंद और स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के बलिदान, तथा ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का 150 दिन से चल रहा अनशन और गंगा की दुर्दशा भारतीय जनता पार्टी के गले में हड्डी की तरह अटक गई है।
उत्तराखंड के प्रथम चरण के चुनाव में 5 लोकसभा सीटें संकट में फंसी मानी जा रही हैं। भारतीय जनता पार्टी काफी प्रयास कर रही है, किंतु इसके बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम देखने को नहीं मिल रहे हैं।