
वाशिंगटन । पिछले कुछ दिनों में अमेरिका की हालात कोरोना महामारी के कारण चीन के बाद सबसे ज्यादा खराब हो गई है। हालात ऐसे हैं कि अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं। इसी के चलते राष्ट्रपति ट्रंप ने अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए नए ग्रीन कार्ड जारी करने पर रोक लगा दी है। यह रोक आगामी 60 दिनों के लिए फिलहाल लगाई गई है। इस बारे में मीडिया की खबरों की माने तो ट्रंप प्रवासी प्रोफेशनल्स को अमेरिका में रखने से पहले अमेरिकी लोगों को तवज्जो देना चाहते हैं। देश में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए ट्रंप ने ये फैसला लिया है। इस बारे में ट्रंप ने कहा कि देश की खस्ता हालात को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। देश में बेरोजगारी बढ़ रही है इसलिए हमें पहले अमेरिकी लोगों को देखना है। यह कदम अमेरिकी कामगारों/ श्रमिकों/ कर्मचारियों की नौकरियों की सुरक्षा को देखते हुए उठाया गया है। यह इसलिए भी जरूरी है कि इससे जो स्वास्थ्य सेवाएं बाहरी लोगों पर लगाई जा रही थीं वो अमेरिकियों के लिए बचाई जा सकती हैं। इस रोक के बारे में ट्रंप ने ये भी कहा कि इस पर छूट जरूर दी जाएगी लेकिन ग्रीन कार्ड पर लगाई गई रोक भी आगे बढ़ाई जा सकती है। लेकिन ट्रंप के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस बात की अनदेखी की गई है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में प्रवासियों का भी हाथ है। इस बारे में विपक्षी पार्टियों का कहना है कि ट्रंप कोरोना की नाकामी और आने वाले चुनावों से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। ग्रीन कार्ड पर रोक लगाए जाने से इसका सबसे ज्यादा असर भारत के प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा। जबकि भारतीय पहले ही इस नियम में किए गये बदलाव के फैसले को लेकर डरे हुए हैं। वहीँ विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस जैसी बड़ी और दिग्गज आईटी कंपनियों को मिलने वाला बड़ा राजस्व का हिस्सा अमेरिका से ही मिलता है। एक खबर के अनुसार, अभी लगभग 100 भारतीय कंपनियां अमेरिका में काम करती हैं। ग्रीन कार्ड रोके जाने से उनका कामकाज ठप हो जायेगा, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि भारत सरकार इसमें दखल देगी। वहीँ, कांग्रेस की अनुसंधान सेवा की एक रिपोर्ट की माने तो तकरीबन 10 लाख वैध विदेशी कामगार और उनके परिवार ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। इस बीच कई देशों से बेरोजगारी बढ़ने और लोगों के आर्थिक संकट से गुजरने की खबरें आ रही है। हाल ही में इसका प्रभाव अमेरिका में भी देखने को मिला है।