
लंदन । वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2050 तक आर्कटिक महासागर में दिखने वाली बर्फ गर्मियों में गायब हो जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार आर्कटिक का औसत तापमान पहले ही 02 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। जिसकी वजह से दक्षिणी ध्रुव में जमी बर्फ की चादर तेजी से पिघल रही है। यह रिपोर्ट हाल ही में जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेकर्स में पब्लिश हुई है। इसे दुनिया के 21 प्रमुख संस्थानों ने 40 अलग-अलग क्लाइमेट मॉडल्स की मदद से तैयार किया है रिसर्च के अनुसार, क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए कोई भी प्रयास इसे बदल नहीं सकता। यह लगभग तय है कि आने वाले दशकों के दौरान आर्कटिक की बर्फ गर्मियों में पूरी तरह खत्म हो जाएगी। हालांकि, एक्सपट्र्स ने कहा है कि यह तय नहीं है कि आर्कटिक कितनी बार और कितने समय तक बर्फ मुक्त रहेगा। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए हमने किस तरह के प्रयास किए हैं। नेशनल स्नो एंड आइस डाटा सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 में आर्कटिक समुद्र में बर्फ का क्षेत्रफल करीब 1.48 करोड़ वर्ग किलोमीटर मापा गया था। यह रेकॉर्ड के अनुसार 11वीं बार सबसे कम है। उत्तरी ध्रुव पूरे साल बर्फ से ढका रहता है। गर्मी में बर्फ में कमी जरूर आती है लेकिन सर्दियों में बर्फ फिर पहले जैसी हो जाती है। हाल के कुछ दशकों में क्लाइमेट चेंज की वजह से समुद्री बर्फ से ढका यह क्षेत्र तेजी से कम हो रहा है, जहां बर्फ तेजी से पिघल रही है।