YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

(चिंतन-मनन) सबसे बड़ी दौलत

(चिंतन-मनन) सबसे बड़ी दौलत

एक विधवा अध्यापिका के दो बेटे थे। वह उन्हें गुरुकुल में अच्छी शिक्षा दिला रही थी। वह खुद भी अनेक बच्चों को संस्कृत पढ़ाती थी। इससे उसे जो कुछ प्राप्त होता था, उसी से वह अपना जीवनयापन करती थी। उसने अत्यंत गरीबी के दिनों में भी कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाए। उसके स्वाभिमान को देख अनेक लोग अध्यापिका का बहुत आदर करते थे।  
एक दिन एक बहुत बड़े सेठ को अध्यापिका की विद्वता व उसकी निर्धनता के बारे में मालूम हुआ। उस सेठ के कोई संतान नहीं थी। उसने सोचा हुआ था कि वह कुछ गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें धन प्रदान करेगा। सेठ अध्यापिका के घर पहुंचा और बोला, 'देवी, आप निर्भीक व स्वाभिमानी हैं। मैं चाहता हूं कि आपके बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण करें। उसके लिए आप यह कुछ रुपये स्वीकार करें।' इसके बाद उसने रुपयों की थैली अध्यापिका की ओर बढ़ाई। अध्यापिका हाथ जोड़कर सेठ से बोली, 'शायद आपको कुछ भ्रम हो गया है। मैं इतनी गरीब भी नहीं हूं कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा न दे पाऊं। मेरे पास जितनी दौलत है, उतनी शायद ही किसी के पास हो।' सेठ अचरज से बोला, 'कहां है दौलत, जरा हमें भी तो बताइए।'  
अध्यापिका ने अपने दोनों पुत्रों को आवाज लगाई तो दोनों पुत्र तुरंत वहां आए और अपनी मां के पैर छूने के बाद उन्होंने सेठ के पैर छुए। फिर उन्होंने मां से पूछा, 'कहिए कैसे याद किया?' दोनों पुत्रों की ओर देखकर अध्यापिका बोली, 'यही दोनों मेरी सबसे बड़ी दौलत हैं।' दोनों लड़कों को देखकर सेठ अभिभूत हो गया और बोला, 'बिल्कुल सही। वास्तव में जिसकी संतान संस्कारी और गुणी है, वह कभी गरीब हो ही नहीं सकता।' अध्यापिका ने सेठ से कहा, 'जो कुछ आप मुझे देने आए हैं, उसे अनाथ बच्चों को शिक्षित करने के लिए दे दें।' सेठ ने वैसा ही किया।  
 

Related Posts