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वेंटिलेटर पर हो रही 80 फीसदी मरीजों की मौत -कोरोना संक्रमितों के लिए खतरनाक हो रहा वेंटिलेटर 

वेंटिलेटर पर हो रही 80 फीसदी मरीजों की मौत -कोरोना संक्रमितों के लिए खतरनाक हो रहा वेंटिलेटर 

लंदन । अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से खबर आ रही है कि संक्रमण से जूझ रहे लगभग 80 फीसदी मरीजों की मौत वेंटिलेकर पर हो रही है।इससे संभावना जताई जा रही हैं कि ज्यादा समय तक वेंटिलेटर पर रहने के कारण शायद मरीजों का संक्रमण और बढ़ रहा है। ऐसे ही न्यूयॉर्क के डॉक्टरों ने अनुमान लगाया है कि शायद वेंटिंलेटर की वजह से कोरोना का संक्रमण कम होने की बजाए और बढ़ रहा है। ऐसे मरीज जो अपने आप सांस नहीं ले पाते हैं, और खासकर आईसीयू में भर्ती मरीजों को इस मशीन की मदद से सांस दी जाती है। इस प्रक्रिया के तहत मरीज को पहले एनेस्थीसिया दिया जाता है। इसके बाद गले में एक ट्यूब डाली जाती है और इसी के जरिए ऑक्सीजन अंदर जाती और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है। इसमें मरीज को सांस लेने के लिए खुद कोशिश नहीं करनी होती है। 
40 से 50फीसदी मामलों में वेंटिलेटर पर रखे हुए मरीजों की मौत हो जाती है। लेकिन कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले में ये आंकड़ा 80फीसदी से भी ज्यादा दिख रहा है। न्यूयॉर्क में स्थानीय और एनवायसी के सरकार अधिकारियों ने मौत के इस ट्रेंड पर चिंता जताते हुए कहा कि हो सकता है ऐसा वेंटिलेटर के कारण हो रहा हो। अमेरीकन लंग एसोसीएशन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अलबर्ट रीज्जाे के अनुसार अकेले न्यूयॉर्क ही नहीं, बल्कि अमेरिका के कई अस्पतालों से ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं। यहां तक कि चीन और यूके में भी इससे मिलते-जुलते मामले दिखाई दे रहे हैं। चीन के वुहान में एक छोटे ग्रुप पर हुई स्टडी में देखा गया कि वेंटिलेटर पर रहते हुए लगभग 86 फीसदी मरीजों की मौत हो गई।वहीं यूके में 66फीसदी मरीजों के साथ ये देखने में आया. इन सारे ही मामलों में ये साफ दिखता है कि आमतौर पर वेंटिलेटर पर जाने पर मरीजों की मौत का आंकड़ा अगर 50 फीसदी तक होता है, तो कोरोना संक्रमण के मामले में ये काफी बढ़ा हुआ है। 
इसकी ठीक-ठाक वजह नहीं पता लेकिन कई विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं कि शायद वेंटिलेटर के कारण मरीजों में इम्यून सिस्टम और कमजोर हो रहा हो। इस अनुमान के साथ ही एक तथ्य ये भी बताया जा रहा है कि एक वक्त के बाद वेंटिलेटर मरीज को नुकसान पहुंचाने लगता है क्योंकि इस प्रक्रिया में फेफड़ों में एक छोटे से छेद के जरिए बहुत फोर्स से ऑक्सीजन भेजी जाती है। इस बारे कनाडा में टोरंटो जनरल अस्तपाल में फेफड़ों के रोग के विशेषज्ञ डा. ऐडी फेन साफ मानते हैं कि वेंटिलेटर मरीजों की सेहत के लिए काफी खराब हैं। वे कहते हैं- बीते दशक में ये तथ्य सामने आ चुका है कि वेंटिलेटर के कारण फेफड़ों की हालत और बिगड़ जाती है इसलिए हमें इसके इस्तेमाल में काफी एहतियात रखनी चाहिए। वेंटिलेटर के इन्हीं खतरों से वाकिफ डॉक्टर मरीज को तब तक इसपर नहीं रखते हैं, जबतक सख्त जरूरी न हो। अमेरिका में बढ़ती मौतों को देखते हुए मरीजों को नाक की नली से या दूसरे तरीकों से सांस देने की कोशिश की जा रही है। सी-पैप डिवाइस भी इन्हीं तरीकों में से एक है, जो उन मरीजों के लिए उपयोग हो रहा है, जिनकी हालत दूसरे रोगियों से बेहतर है। 
मालूम हो कि ये नई जानकारी तब सामने आई है, जब बहुत से देश अपने यहां ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेटर का बंदोबस्त करने में लगे हैं। यहां तक कि भारत में भी दूसरे देशों से वेंटिलेटर की खरीदी के अलावा लोकल स्तर पर इसे बनाने पर जोर दिया जा रहा है। कोरोना वायरस के नया होने के कारण अभी भी वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के पास पूरी जानकारी नहीं है, बल्कि वे आसपास और मरीजों के साथ घट रही बातों को देखते हुए अनुमान लगा रहे हैं। 
 

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