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भारतीय जैन मिलन के गौरवशाली 54 वर्ष 

भारतीय जैन मिलन के गौरवशाली 54 वर्ष 

जब हम पवित्र उद्देश्य को लेकर कोई शुभ कार्य करने का संकल्प लेते हैं तो अवश्य ही उस कार्य में सफलता मिलती है। ऐसा ही प्रयास आज से 54 वर्ष पूर्व दिनांक 2 मई 1966 को गौरवशाली संस्था  का देहरादून में जैन समाज के प्रबुद्ध श्रेष्ठी जनों द्वारा *भारतीय जैन मिलन* के नाम किया था। इस संस्था के गठन का मुख्य उद्देश्य जैन एकता स्थापित करना रहा है। क्योंकि देश की जैन समाज दिगम्बर, श्वैताम्वर, तेरहपंथी, बीसपंथी, स्थानक वासी आदि अनेक वर्गों एवं आमनाओं में बटी हुई है।
हम स्मरण करते है उस शुभ दिन 2 मई 1966 को। उस दिन तक इलाहाबाद से लेकर देहरादून तक संस्था की केवल 15 शाखाएं ही कार्यरत थीं। जिन्हें देहरादून में आमंत्रित कर
*भारतीय जैन मिलन* का नाम दिया गया। संस्था के प्रथम अध्यक्ष के रूप में दीपचंद जैन रायपुर एवं महामंत्री के.सी. जैन गर्ग इलाहाबाद नियुक्त किये    
गये। जैन मिलन की पहली शाखा सन 1953 में यद्यपि इलाहाबाद में खुली थी पर इसे भारतीय जैन मिलन का विधिवत रूप 2 मई 1966 को देहरादून में ही मिला। भारतीय जैन मिलन के गठन के साथ ही मिलन के विकास और विस्तार की यात्रा जोर शोर से चली और 54 वर्ष की लम्बी विकास यात्रा के बाद आज संपूर्ण भारत वर्ष में लगभग 1320 शाखाएं हैं। संस्था में सुव्यवस्थित संचालन की दृष्टि से इसे 19 क्षेत्रों में विभाजित किया है।  नारी शक्ति को सशक्त बनाने, सामाजिक, धार्मिक, पारमार्थिक गतिविधियों में सहभागी बनाने के पवित्र उद्देश्य से महिला जैन मिलन की लगभग 450 स्वतंत्र शाखाएं संचालित है। देश और समाज के भविष्य युवा जिनके कंधों पर कल समाज और देश की बागडोर होगी उन्हें भी सुसंस्कारित, दीक्षित और नेतृत्व निपुण बनाने के उद्देश्य से युवा जैन मिलन की लगभग 15 शाखाएं खोली गई है। मिलन तीन शब्दों से मिलकर बना है, मि- मित्रता, ल- लगन और न- नम्रता का प्रतीक है।
सन 1968 में मिलन शाखाओं की गतिविधियों को प्रत्येक सदस्य तक पहुचाने की आवश्यकता अनुभव करते हुए मिलन के मुखपत्र
*भारतीय जैन मिलन समाचार* पत्रिका को सर्वप्रथम देहरादून से प्रकाशित करने निर्णय लिया गया और तभी से आज तक यह पत्रिका निरंतर प्रगति करती हुई अपने वर्तमान आकर्षक स्वरूप में   
मेरठ से प्रकाशित हो रही है। भारतीय जैन मिलन की प्रगति यात्रा में सन 1980 में उल्लेखनीय सफलता मिली जब इसका विस्तार दक्षिण भारत में हुआ। जैन समाज के वरिष्ठ नेताओं और संतों ने इस अभियान को अपना पावन आशीर्वाद दिया ।
आज दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में सैंकड़ों शाखाएं मिलन शाखाएं मिलन आन्दोलन को आगे बढ़ा रही है।सन 1985 में उत्तर भारत के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मेरठ के समीप सरधना में भारतीय जैन मिलन अस्पताल खोला गया। यह अस्पताल सफलतापूर्वक चल रहा है।
 01 मार्च 1997 को भारतीय जैन मिलन फाउंडेशन का गठन किया। फाउंडेशन के माध्यम से शिक्षा, बीमारी,पारमार्थिक कार्यों, आपदा पीड़ितों की सहायता की जाती है। फाउंडेशन का फंड लगभग एक करोड़ रुपये हो गया है। पिछले 23 वर्षों से भारतीय जैन मिलन के अन्तर्गत संचालित फाउंडेशन का कार्य सराहनीय है।
भारतीय जैन की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर 11 अक्टूबर 2015 को स्वर्ण जयन्ती वर्ष में फिक्की आडीटोरियम दिल्ली में जैन समाज की चारों आमनाओं के साधु-सन्तों के पावन सानिध्य में जैन एकता सम्मेलन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। भारतीय जैन मिलन के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज मेरठ के कुशल एवं गतिशील नेतृत्व में पिछले चार वर्ष से जैन एकता को मजबूत करने मासिक मिलन का आयोजन हर माह किया जाता है।मासिक मिलन में प्रत्येक माह विभिन्न धर्म स्थल, मंदिर, स्थानकों में रात्री मात्र एक घन्टा के लिये जैन समाज की विभिन्न के पदाधिकारी  और पुरुष महिला सदस्यगण उत्साह से सम्मिलित होकर आधा घन्टा सामुहिक महामंत्र णमोकार का पाठ करते हैं और आपस में सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं।जैन एकता के अनूठे आयोजन मासिक मिलन को भारी सफलता मिल रही है। जैन महिला सम्मेलन एवं युवा सम्मेलन का आयोजन क्षेत्र स्तर पर किया जाता है।            
कोराना वैश्विक महामारी प्रकोप में भारतीय जैन मिलन ने उदारता से हाथ बढ़ाया है
सहायता फंड में पाँच लाख रूपये का चेक प्रदान किया है। देश में सैकडों जैन मिलन शाखाएं इस संकट की घड़ी में पीड़ित मानवता की सेवा कर रहीं हैं। भारतीय जैन मिलन ने चालू वर्ष 2020-21 को "जैनत्व/जनगणना जागरूकता वर्ष" घोषित किया है। सन 2011 की जनगणना में जैन समाज सारे देश में कुल 44 लाख 50 हजार थी। वास्तविकता यह है जैन समाज लगभग 2 करोड़ है। जनगणना में जैन समाज धर्म के कालम में जैन के स्थान पर गोत्र लिखा देते है। भारतीय जैन मिलन ने जैन समाज में जागरूकता का अभियान अप्रेल 20 से ही प्रारंभ कर दिया है। जैन एकता का भारतीय जैन मिलन का अभियान उक्त पक्तियों में चरितार्थ होता है:-
हम नहीं दिगम्बर,श्वैताम्वर, तेरहपंथी,स्थानकवासी
हम एक देव के अनुयायी, एक देव के विश्वासी 
हमजैनी अपना धर्म जैन बस इतना ही परिचय हो।
(लेखक- विजय कुमार जैन)
 

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