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कोरोना से बढ़ेगा ई-लर्निंग का चलन 

कोरोना से बढ़ेगा ई-लर्निंग का चलन 

ई-लर्निंग मतलब सीखने का इलेक्ट्रॉनिक तरीका। टेक्नोलाजी का शिक्षा की दुनिया में प्रयोग लम्बे समय से चल रहा है। बदलते दौर के साथ ई-लर्निंग तकनीकि के बढ़ते साधनों से सीखने का आसान तरीका है, जिसमें किसी विशेष स्थान, समय और साधन की आवश्यकता नहीं होती है। कोई भी एंडृाइड फोन और इन्टरनेट के माध्यम से आसानी से ई-लर्निंग की सुविधा के साथ जुडा जा सकता है। इसके माध्यम से स्कूल, काॅलेज, दफतर को अपडेट रखने के सरल तरीके अपनाऐ जा सकते हैं। इसका उपयोग लम्बे समय से शिक्षा में किया जा रहा है। ई-लर्निंग एक ग्लोबल लर्निंग प्रोग्राम है, जिसमें कोई भी छात्र आसानी से विश्व के किसी भी इंस्टिट्यूट में विभिन्न कोर्सेज के माध्यम से ऑन-लाइन जुड सकता है। कोरोना के साये में शिक्षा का ई-लर्निंग प्रोग्राम एक सकारात्मक दृष्टिकोण दर्शाता है। संकट की इस घडी में भारत में आनॅलाइन एजुकेशन का उज्ज्वल भविष्य के तौर पर देखा जा रहा है। मौजूदा समय में ई-लर्निंग एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है। ई-लर्निंग जहां एक ओर विश्व के शिक्षण संस्थानों से बेहतर तालमेल बैठाने में सक्षम है, वहीं शिक्षक और छात्र में समन्वय स्थापित करने में भी कारगर है। भारत के दूर-दराज ग्रामीण इलाकों में उच्च शिक्षा की पहुंच स्थापित करने का बेहतर प्लेटफार्म है। वर्तमान में दुनिया के बाजारों में सन्नाटा छाया है, लेकिन शिक्षा में ई-लर्निंग के माध्यम से भविष्य की संभावनाएं तराशी जा रही हैं। आज के कोरोना दौर में ई-शिक्षा कई माध्यम से सुचारू रूप से दी जा रही है जैसे- मोबाइल लर्निंग, मोबाइल एप लर्निंग, सोसल लर्निंग, अनौपचारिक शिक्षा, आत्म निर्देशन के जरिए सीखना, ऑडियो, वीडियो के आधार पर, कई सोशल साइडों के माध्यम से, यूटयूब, अन-अकेडमी, टेलीग्राम, इन्साटृग्राम, फेसबुक के माध्यम से व्यक्तिगत एवं गु्रप स्टडी की जा रही है। मौजूदा दौर का बाजार इस बात की तसदीक करता नज़र आ रहा है, कि आने वाले दिनों में ई-लर्निंग का चलन और बढेगा। 
संकट की इस घड़ी में भारत सरकार ने कई तरह के एजूकेशनल प्रोग्राम अपडेट किए हैं, जिनके माध्यम से लाॅकडाउन में किसी भी छात्र की पढाई में कोई बाधा न उत्पन्न हो और छात्रों की समस्याऐं सुलझायी जा सके। छात्रों के लिए एन.सी.आर.टी. की बुक ऑनलाइन करना, ज्यादातर बुकस की पीडीएफ उपलब्ध कराना, ई-पाठशाला, एआईसीटीई स्टूडेंट काॅलेज हेल्पलाइन वेबपोर्टल, एआईसीटीई टृेनिंग एण्ड लर्निग, यूजीसी के एमओओसी कोर्स, रिर्सच स्काॅलर के लिए शोधगंगा, शोधशुद्धि, विद्धान,इग्नू कोर्सिस वर्चुअल एक्सपेरिमेंट्स और कई तरह के लर्निंग प्रोग्रामों के माध्यम से बच्चों की शिक्षा से सम्बन्धित समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ महत्वपूर्ण एप्स और साइडस के माध्यम से छात्र अपने आपको अपडेट रख सकते है, जिनके माध्यम से शिक्षा की डिजिटल क्रान्ति में अहम योगदान साबित होगा, उनमें से कुछ प्रमुख साइड्स इसप्रकार हैं-
ई-पाठशाला - इसमें एनसीईआरटी के माध्यम से छात्रों के लिए ऑडियो, वीडियो, ई-बुक्स आदि की व्यवस्था की गयी है। 
दीक्षा एप - इस एप में कक्षा 1 से 12वीं तक की सीबीएसई, एनसीईआरटी और स्टेट/यूटी की ओर से लगभग 80 हजार से अधिक ई-बुक्स मौजूद हैं।
नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इण्डिया - नेशनल रिपोसिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेल। 
स्वयं - यह नेशनल ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफार्म है। नेशनल प्रोग्राम, ऑन टेक्नोलॉजी एन्हांस्ड लर्निंग, ई-पीजी पाठशाला आदि वेबसाइड्स के अलावा अनेकानेक यूटयूब चैनलों के माध्यम से निःशुल्क और शुल्क दे कर भी शिक्षण का कार्य हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को अपडेट रखने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है, जिनके माध्यम से छात्र अपने जीवन में लगातार सफल हो रहे है। इन अध्ययन के साधनों का सद्पयोग करके इस लाकॅडाउन के समय अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाया जा सकता है। 
  1990 के दशक में प्रारम्भ हुई ई-लर्निंग की क्रान्ति ने दशकों से चली आ रही शिक्षण पददति के कायापलट की रूपरेखा तैयार कर ली है। यह भारतीय शिक्षा प्रणाली का बेहतरीन भविष्य साबित हो सकती है। ई-लर्निंग परम्परागत शिक्षा पददति से अधिक लचीली, सुविधाजनक, रचनात्मकता पूर्ण, कम समय में अधिक ज्ञान प्रदान करने पर आधारित है, इसलिए टेक्नोलाॅजी प्रेमी की पहली पसन्द बनकर उभरी है। वर्तमान में दुनिया के ज्यादातर देशों के द्वारा ई-लर्निंग पर अध्ययन-अध्यापन का कार्य किया जा रहा है। हालांकि लम्बे समय से दुनिया भर के छात्र ई-लर्निंग स्टडी पहले भी करते आ रहे हैं, लेकिन आज जब कोरोना के कहर से दुनिया अपने घरों में लाॅक रहने पर मजबूर है, तब ई-शिक्षा प्रणाली पढाई को जारी रखने में काफी लाभदायक सिद्ध हो रही है। 10वीं-12वीं, से लेकर उच्च स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं की घर बैठे तैयारी करने का नायाब तरीका आज विश्व के सामने ई-लर्निंग के तौर में मौजूद है। बदलाव का यह दौर तकनीकि के बढ़ते साधनों से सीखने का आसान तरीका है। आने वाला समय तकनीकि के इन बदलाव में और भी सहज होगा। जिससे ई-लर्निग का चलन और बढेगा। 
(लेखिका- डॉ. नाज परवीन )

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