
संयुक्त राष्ट्र । संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने कहा है कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लागू बंद के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब पांच करोड़ महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं। इससे आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं। यूएनएफपीए और सहयोगियों ने ये आंकड़े जारी किए हैं। एजेंसियों का कहना है कि संकट के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं परिवार नियोजन के साधनों तक पहुंच नहीं पा रही हैं,इसकारण उनके अनचाहे गर्भधारण का खतरा है। यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने कहा, ये नए आंकडे़ उस भयावह प्रभाव को दिखाते हैं जो पूरी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों पर पड़ सकते हैं। कानेम कहती हैं,यह महामारी भेदभाव को गहरा कर रही है तथा लाखों और महिलाएं-लड़कियां परिवार नियोजन की अपनी योजनाओं को पूरा कर पाने और अपनी देह तथा स्वास्थ्य की रक्षा कर पाने में नाकाम हो सकती हैं। यह अध्ययन बताता है कि 114 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 45 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करती हैं। इसमें कहा गया है,छह माह से अधिक समय में लॉकडाउन से संबंधित बाधाओं के चलते निम्न और मध्यम आय वाले देशों में चार करोड़ 70 लाख महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं। इसके मुताबिक महामारी के इस वक्त में महिलाओं के खतने (एफजीएम) और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने की दिशा में चल रहे कार्यक्रमों की गति भी प्रभावित हो सकती है। इससे एक दशक में एफजीएम के अनुमानित 20 लाख और मामले सामने आएंगे। इसके अलावा अगले 10 साल में बाल विवाह के एक करोड़ 30 लाख मामले सामने आ सकते हैं।