YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

वर्ल्ड

जिससे वायरस मिला, उसी से इलाज भी हो सकता है -अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर डेसजैक का दावा

जिससे वायरस मिला, उसी से इलाज भी हो सकता है -अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर डेसजैक का दावा

लंदन । कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिक का दावा है कि जिससे वायरस मिला, उससे इलाज भी हो सकता है। चमगादड़ों पर रिसर्च कर रहे अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर डेसजैक एक वायरस हंटर हैं जो जगह-जगह जाकर चमगादड़ों में मिलने वाले वायरस पर काम कर रहे हैं। एक संस्था इकोहेल्थ अलायंस के तहत 10 सालों से इस पर काम कर रहे पीटर अब तक 20 देशों में सैंपल इकट्ठा करने जा चुके हैं। पीटर खुद बताते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कोरोना वायरस फैमिली के 15 हजार से ज्यादा नमूने जमा किए, जिनमें से 500 सैंपल न्यू कोरोना वायरस से जुड़े पाए गए। माना जा रहा है कि साल 2013 में वुहान की एक गुफा से मिला सैंपल कोविड-19 से ठीक पहले का वायरस रहा होगा। 
वायरस हंटर बतौर काम करने वाले पीटर अकेले शख्स नहीं हैं, बल्कि उन्हें कई संस्थाओं का सहयोग है, जो ये पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करती हैं कि भविष्य में कौन सा वायरस इंसानों पर हमला बोल सकता है। इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन, वाइल्डलाइफ सोसायटी जैसी संस्थाएं शामिल हैं। चमगादड़ों में इंसानों के लिए खतरनाक होने वाले वायरस की खोज करने के लिए पीटर ने चीन के युन्नान प्रांत पर फोकस किया। वैज्ञानिक यहां से चमगादड़ों के जालों, थूक और खून समेत कई तरह के नमूने एकत्रित करते हैं। पीटर बताते हैं कि चीन से सार्स बीमारी फैलने के बाद वैज्ञानिकों का इस जगह पर ध्यान गया लेकिन अब दिख रहा है कि चमगादड़ों में सैकड़ों ऐसे वायरस होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं। चीन के युन्नान प्रांत के एक शहर जीन्नींग में काम के दौरान वहां के लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। जांच के नतीजे चौंकाने वाले रहे। पीटर की टीम ने देखा कि वहां रहने वाले लोगों में 3 प्रतिशत के शरीर में वे सारी एंटीबॉडीज थीं, जो सिर्फ चमगादड़ों में होती हैं। 
कोरोना के शुरुआती मामले आने के बाद वुहान इंस्टीटयूट आफ वाइरोलॉजी ने तुरंत इस लाइब्रेरी के डाटाबेस को खंगाला। यहीं पता चला कि युन्नान में साल 2013 में ही ये वायरस देखा जा चुका है। दोनों वायरसों में 96.2 फीसदी समानताएं दिखीं। वायरस का ओरिजिनल पता लगाने पर टीके की खोज आसान हो जाती है। अब पीटर का दावा है कि चमगादड़ों के शरीर में पाए जाने वाली एंटीबॉडी से कोरोना वायरस का इलाज हो सकेगा। डूकनूस में वायरोलॉजिस्ट वैंग लिंफा भी इससे सहमत हैं। उनके अनुसार चमगादड़ों से जो खून के नमूने लिए गए, उनमें काफी मात्रा में एंटीबॉडी दिखी। ये जाहिर तौर पर कोरोना वायरस से एक्सपोज होने पर बनी होंगी। इसके आधार पर कोविड-19 के लिए टीका तैयार हो सकता है। 
इसके साथ ही वैज्ञानिक चमगादड़ों के जरिए ये समझने की भी कोशिश कर रहे हैं कि क्या निकट भविष्य में कोरोना जैसी कोई महामारी दोबारा हमला कर सकती है! इससे बचाव के लिए भी कई तरह की मुहिम चलाई जा रही है। केन्या में लोगों को अपने घरों में वेंटिलेशन के लिए बने छोटे-छोटे झरोखों को बंद करने या उस पर जाली जैसा कुछ लगाने की सलाह दी जा रही है ताकि चमगादड़ भीतर न आ सकें। कोरोना वायरस को फैले लगभग 5 महीने हो चुके हैं। इस बीच भी वैज्ञानिक वायरस के बारे में खास जानकारी नहीं जुटा सके हैं। असरदार दवा या टीके की खोज पर काम चल ही रहा है। 
जिससे वायरस मिला, उसी से इलाज भी हो सकता है
-अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर डेसजैक का दावा
लंदन । कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिक का दावा है कि जिससे वायरस मिला, उससे इलाज भी हो सकता है। चमगादड़ों पर रिसर्च कर रहे अमेरिकी वैज्ञानिक पीटर डेसजैक एक वायरस हंटर हैं जो जगह-जगह जाकर चमगादड़ों में मिलने वाले वायरस पर काम कर रहे हैं। एक संस्था इकोहेल्थ अलायंस के तहत 10 सालों से इस पर काम कर रहे पीटर अब तक 20 देशों में सैंपल इकट्ठा करने जा चुके हैं। पीटर खुद बताते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कोरोना वायरस फैमिली के 15 हजार से ज्यादा नमूने जमा किए, जिनमें से 500 सैंपल न्यू कोरोना वायरस से जुड़े पाए गए। माना जा रहा है कि साल 2013 में वुहान की एक गुफा से मिला सैंपल कोविड-19 से ठीक पहले का वायरस रहा होगा। 
वायरस हंटर बतौर काम करने वाले पीटर अकेले शख्स नहीं हैं, बल्कि उन्हें कई संस्थाओं का सहयोग है, जो ये पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करती हैं कि भविष्य में कौन सा वायरस इंसानों पर हमला बोल सकता है। इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन, वाइल्डलाइफ सोसायटी जैसी संस्थाएं शामिल हैं। चमगादड़ों में इंसानों के लिए खतरनाक होने वाले वायरस की खोज करने के लिए पीटर ने चीन के युन्नान प्रांत पर फोकस किया। वैज्ञानिक यहां से चमगादड़ों के जालों, थूक और खून समेत कई तरह के नमूने एकत्रित करते हैं। पीटर बताते हैं कि चीन से सार्स बीमारी फैलने के बाद वैज्ञानिकों का इस जगह पर ध्यान गया लेकिन अब दिख रहा है कि चमगादड़ों में सैकड़ों ऐसे वायरस होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं। चीन के युन्नान प्रांत के एक शहर जीन्नींग में काम के दौरान वहां के लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। जांच के नतीजे चौंकाने वाले रहे। पीटर की टीम ने देखा कि वहां रहने वाले लोगों में 3 प्रतिशत के शरीर में वे सारी एंटीबॉडीज थीं, जो सिर्फ चमगादड़ों में होती हैं। 
कोरोना के शुरुआती मामले आने के बाद वुहान इंस्टीटयूट आफ वाइरोलॉजी ने तुरंत इस लाइब्रेरी के डाटाबेस को खंगाला। यहीं पता चला कि युन्नान में साल 2013 में ही ये वायरस देखा जा चुका है। दोनों वायरसों में 96.2 फीसदी समानताएं दिखीं। वायरस का ओरिजिनल पता लगाने पर टीके की खोज आसान हो जाती है। अब पीटर का दावा है कि चमगादड़ों के शरीर में पाए जाने वाली एंटीबॉडी से कोरोना वायरस का इलाज हो सकेगा। डूकनूस में वायरोलॉजिस्ट वैंग लिंफा भी इससे सहमत हैं। उनके अनुसार चमगादड़ों से जो खून के नमूने लिए गए, उनमें काफी मात्रा में एंटीबॉडी दिखी। ये जाहिर तौर पर कोरोना वायरस से एक्सपोज होने पर बनी होंगी। इसके आधार पर कोविड-19 के लिए टीका तैयार हो सकता है। 
इसके साथ ही वैज्ञानिक चमगादड़ों के जरिए ये समझने की भी कोशिश कर रहे हैं कि क्या निकट भविष्य में कोरोना जैसी कोई महामारी दोबारा हमला कर सकती है! इससे बचाव के लिए भी कई तरह की मुहिम चलाई जा रही है। केन्या में लोगों को अपने घरों में वेंटिलेशन के लिए बने छोटे-छोटे झरोखों को बंद करने या उस पर जाली जैसा कुछ लगाने की सलाह दी जा रही है ताकि चमगादड़ भीतर न आ सकें। कोरोना वायरस को फैले लगभग 5 महीने हो चुके हैं। इस बीच भी वैज्ञानिक वायरस के बारे में खास जानकारी नहीं जुटा सके हैं। असरदार दवा या टीके की खोज पर काम चल ही रहा है। 
 

Related Posts