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(स्मृति शेष) चला गया फ़िल्मी पर्दे का खिलाड़ी पान सिंह तोमर  हरफनमौला मिजाज के धनी और यारो के यार रहे 

(स्मृति शेष) चला गया फ़िल्मी पर्दे का खिलाड़ी पान सिंह तोमर  हरफनमौला मिजाज के धनी और यारो के यार रहे 

फिल्म अभिनेता इरफान खान अब नहीं रहे। उनका मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में निधन हो गया है।  इरफान खान की उम्र मात्र 54 साल थी। अभिनेता इरफान खान लंबे समय से बीमार चल रहे थे और विदेश से इलाज कराकर कुछ महीने पहले ही भारत में  लौटे थे। लेकिन अचानक तबीयत खराब होने के कारण कुछ दिन पहले ही उन्हें कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था।इरफान खान की हालत काफी गंभीर थी। 
 इरफान खान के यूं अचानक चले जाने से उनके प्रशंसक और बॉलीवुड के लोग सदमे में हैं। दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान को न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी होने का पता चला था। विदेश में इस बीमारी का इलाज कराकर इरफान खान ठीक हो गए थे। भारत लौटने के बाद इरफान खान ने अंग्रेजी मीडियम में शानदार अभिनय किया था। किसे पता था कि यह फ़िल्म इरफान की जिंदगी की आखिरी फिल्म बन जाएगी । हाल ही में इरफान की मां का भी निधन हो गया  था। अभिनेता इरफान की मां सईदा बेगम ने 25 अप्रैल को जयपुर में अंतिम सांस ली थी।  देशव्यापी लॉकडाउन व स्वास्थ्य खराब होने के कारण इरफान अपनी मां के अंतिम संस्कार में भी नहीं जा पाए थे। बताते है ,इरफान खान की हालत आतों में दर्द और सूजन के कारण  बिगड़ गई थी।  साथ ही  उनको सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। 
इरफान खान का इंजीनियर नगरी रुड़की से गहरा नाता रहा है।उन्होंने मुख्य किरदार के रूप में फ़िल्म पान सिंह तोमर की जिसकी शूटिंग रुड़की में भी हुई थी।फ़िल्म करने के बाद भी इरफान रुड़की आते रहे। पान सिंह तोमर बने इरफान का फ़िल्म शूटिंग के दौरान  इंटरव्यू ले रहा पत्रकार पूछता है‍ कि आप डाकू कब बने, तो वह नाराज हो जाता है। वह कहता है ‘डकैत तो संसद में बैठे हैं, मैं तो बागी हूं।‘ उसे अपने आपको बागी कहलाना पसंद था। समाज जब उसे न्याय नहीं दिला पाया तो उसे बागी बनना पड़ा। अपनी रक्षा के लिए बंदूक उठाना पड़ी। उसे इस बात का अफसोस भी था। बागी बनकर बीहड़ों में भागने की बजाय उसे रेस के मैदान में भागना पसंद था।
 बीहड़ में ट्रांजिस्टर पर जब पान सिंह अपना नाम सुनता था तो भड़क जाता था। बुदबुदाता था कि जब उसने देश का नाम खेल की दुनिया में रोशन किया तो कभी उसका नाम नहीं लिया गया। उस समय कोई पत्रकार उससे इंटरव्यू लेने के‍ लिए नहीं आया, लेकिन बंदूक उठाते ही उसका नाम चारों ओर सुनाई देने लगा है। पान सिंह तोमर की जिंदगी दो हिस्सों में बंटी हुई है। खिलाड़ी और फौजी वाला हिस्सा उसकी जिंदगी का उजला पक्ष है तो बंदूक उठाकर बदला लेने वाला डार्क हिस्सा है। 
फौजी पान सिंह की खुराक इतनी थी कि उसे सलाह दी जाती है कि वह स्पोर्ट्स में चला जाए जहां खाने पर कोई राशनिंग नहीं है। पान सिंह बहुत तेज दौड़ता था इसलिए वह खेलों की ओर चला गया। 5000 मीटर रेस में वह हिस्सा लेना चाहता था, लेकिन अपने कोच के कहने पर स्टीपलचेज़ में हिस्सा लेता है। राष्ट्रीय रेकॉर्ड बनाता है और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में ‍भी हिस्सा लेता है।
इरफान खान ने पान सिंह तोमर को पर्दे पर जिस तरह जिया है ,उससे  साबित हो गया है कि अभिनेता इरफान कभी खराब अभिनय कर ही नही सकता था। फौजी, खिलाड़ी और डकैत जैसे उनके कई चेहरे फिल्म में देखने को मिलते हैं। खिलाड़ी के रूप में भी इरफ़ान खूब जमे थे।  फ़िल्म निर्देशक तिग्मांशु ने इरफ़ान को फ़िल्म में लेने से पहले पान सिंह तोमर के बारे में बताया था, साथ ही एक पत्रिका में इरफ़ान ने एक स्टोरी पढ़ी थी।वह उनके जेहन में थी। तिग्मांशु से बात करने पर उन्हें कई बातें स्पष्ट हुईं।जिसपर इरफ़ान ने  महसूस किया कि इस पर फिल्म बननी चाहिए। चूंकि पान सिंह वास्तविक जिंदगी में धावक,सुबेदार, किसान परिवार का व्यक्ति था जो बाद में  बागी बना।इस लिहाज से इस किरदार के लिए इरफ़ान को शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार होना था।ताकि वह किरदार के साथ न्याय कर सके। इसके लिए इरफ़ान को दौड़ने की ट्रेनिंग लेनी पड़ी, चूंकि पान सिंह चैंपियन थे दौड़ में। इसमें कोच सतपाल सिंह ने इरफ़ान की बहुत मदद की।फिर इरफ़ान को चंबल में लोगों के साथ समय बिताना भी जरूरी था।ताकि वहां से फ्रेंडली हो सके।दूसरी बात पान सिंह एक दिलचस्प किरदार है। एक ऐसा व्यक्ति जो सात सालों तक चैंपियन रहा. फिर बागी बना, लेकिन लोग उनके बारे में जानते ही नहीं, ऐसे में इरफ़ान ने तय किया कि वह यह फिल्म जरूर करेगा। इरफ़ान ने अपने इस किरदार को अपना दिल दिया था  यह कहना गलत न होगा। 
 इरफ़ान ने गर्मी के वक्त तेज धूप में शूटिंग की। 
चूँकि  पान सिंह तोमर ने बंगाल इंजीनियर ग्रुप एवम केंद्र रुड़की में नोकरी की थी। इसलिए तिग्मांशु ने रक्षा मंत्रालय से बीईजी में इस फिल्म की शूटिंग करने की इजाजत मांगी। फिल्म को लेकर वह इतने उत्साहित थे कि अपनी पूरी यूनिट जिसमें करीब डेढ़ सौ से भी अधिक लोग थे, उन्हें लेकर रुड़की पहुंच गए थे और वही डेरा डाल दिया था। हर रोज बेसब्री से इंतजार हो रहा था कि रक्षा मंत्रालय से अनुमति आ जाएगी, लेकिन चार दिन तक भी अनुमति नहीं पहुंची। कुछ सीन आइआइटी रुड़की से भी शूट किए गए। इसके बाद वह धौलपुर शूटिंग करने पहुंच गए। यहां पर कोहरे के कारण फिल्म की शूटिंग करने में परेशानी आई। करीब चार माह बाद बीईजी रुड़की में शूटिंग की अनुमति मिली, तब कहीं जाकर फ़िल्म का काम पूरा हो पाया।
अभिनेता इरफान का जन्म 7 जनवरी 1967 को जयपुर, राजस्थान मे हुआ था। इरफ़ान ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 23 फ़रवरी 1995 को इरफान ने सुतपा सिकदर से शादी की। सुतपा भी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से सम्बन्ध रखती हैं।इरफान खान के निधन पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, अभिनेता अक्षय कुमार, परेश रावल समेत बॉलीवुड के दिग्गजों ने श्रद्धांजलि दी. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत
बॉलीवुड के अनेक अभिनेताओं ने श्रद्धाजंलि अर्पित की है। वही रुड़की में भी इरफ़ान के सम्पर्क में रहे अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी डॉ आदेश कुमार शर्मा,यशपालसिंह, जावेद साबरी,अफ़ज़ल मंगलौरी आदि ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
(लेखक-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट )

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