
लंदन। कोरोना वायरस की अभी तक कोई वैक्सीन या दवा ईजाद नहीं हुई है। ऐसे में अब इस जानलेवा वायरस से लडऩे के लिए प्रार्थना की शक्ति का प्रयोग करने की तैयारी की जा रही है। कंसास सिटी में भारतीय मूल के अमेरिकी फिजिशियन ने यह जानने के लिए अध्ययन शुरू किया है कि क्या दूर रहकर की जाने वाली रक्षात्मक प्रार्थना जैसी कोई चीज ईश्वर को कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को ठीक करने के लिए मना सकती है। शोध में किसी भी मरीज के लिए निर्धारित मानक देखभाल प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस शोध के दौराना कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को उन्हें 500-500 के दो समूह में बांटा जाएगा। इनमें से सिर्फ एक समूह के लिए प्रार्थना की जाएगी। पहले से किसी भी समूह को प्रार्थनाओं के बारे में नहीं बताया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान को उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक, चार माह का यह अध्ययन, दूर रहकर की जाने वाली रक्षात्मक बहु-सांप्रदायिक प्रार्थना की कोविड-19 मरीजों के क्लीनिकल परिणामों में भूमिका की पड़ताल करेगा।
पांच सांप्रदायिक रूपों में प्रार्थना
बिना किसी क्रम के चुने गए आधे मरीजों के लिए पांच सांप्रदायिक रूपों- ईसाई, हिंदू, इस्लाम, यहूदी और बौद्ध धर्मों- में सर्वव्यापी प्रार्थना की जाएगी, जबकि अन्य मरीज एक-दूसरे समूह का हिस्सा होंगे। अगर कोई अलौकिक शक्ति है, जिसमें हम में से ज्यादातर यकीन करते हैं, तो क्या वह प्रार्थना और पवित्र हस्तक्षेप की शक्ति परिणामों को सम्मिलित ढंग से बदल सकती है यही शोध का सवाल है। इस शोध के दौरान जांचकर्ता यह भी आकलन करेंगे कि कितने समय तक मरीज वेंटिलेटर पर रहे, उनमें से कितनों के अंगों ने काम करना बंद कर दिया, कितनी जल्दी उन्हें आईसीयू से छुट्टी दी गयी और कितनों की मौत हो गयी।