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ब्लॉकचेन:  सूचना प्रौद्योगिकी में विश्वसनीयता की बदलती तस्वीर 

ब्लॉकचेन:  सूचना प्रौद्योगिकी में विश्वसनीयता की बदलती तस्वीर 

ब्लॉकचेन का नाम शायद आपने सुना होगा लेकिन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी गहरी समझ ना होने के कारण ब्लॉकचेन तकनीक आपको एक पहेली की तरह दिखाई देती होगी। सरल शब्दों में कहा जाए तो ब्लॉकचेन एक ऐसी तकनीक है जिसमें डिजिटल जानकारी एक साथ अनेक कंप्यूटरों में  इस तरह से स्टोर की जाती है कि इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ ना की जा सके। सुनने में शायद यह छोटी बात लगे पर यह एक क्रांतिकारी तकनीक है। कई बार इसे इंटरनेट का भविष्य भी कहा जाता है। 
डिजिटल जानकारी किसी स्टोरेज डिवाइस  में संग्रहित होती है और जब हम इसे देखते हैं तो वास्तव में हम केवल इसकी एक प्रतिलिपि देख रहें होतें है, मूल फाइल स्टोरेज डिवाइस में सुरक्षित रहती है। स्टोरेज डिवाइस तक पहुंचना संभव हो तो बड़ी आसानी से इस फाइल को या इसमें लिखी सामग्री को बदला जा सकता है। यूं तो पासवर्ड, एक्सेस परमिशन, फायरवाल, आदि तमाम तरह की सुरक्षा व्यवस्थाये तैनात कर मान लिया जाता है की हमारा डेटा सुरक्षित है, लेकिन तब क्या जब पूरे कंप्यूटर सिस्टम का मालिक ही हमारे डेटा को बदलने की मंशा रखें। 
अब सवाल उठता है की विश्वसनीय किसे  माना जाए। हम यदि किसी को विश्वसनीय मान भी लें तो जरूरी नहीं है कि सभी लोग उसे  विश्वसनीय माने। हम सभी एक देश में रहते हैं तो अपनी सरकार को विश्वसनीय मान सकते हैं। जरूरी नहीं की दुसरे देश का व्यक्ति भी हमारी सरकार पर भरोसा करे। साधारण जानकारी के लिए विश्वास किया भी जा सकता है, पर तब क्या जानकारी वित्तीय लेनदेन या संपत्ति के स्वामित्व को लेकर हो। निश्चित रूप से वित्तीय लेनदेन और स्वामित्व के संबंध में हम कागज पर लिखे गए अनुबंध पत्र को ज्यादा विश्वसनीय मानेंगे। इसी समस्या का समाधान ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में छुपा हुआ है।  
ब्लॉकचेन वास्तव में निरंतर संग्रहित होती जानकारियों की क्रमबद्ध सूची है।  इस सूची में जानकारियों को छोटे-छोटे ब्लॉक में रखकर क्रमबद्ध रूप से स्टोर किया जाता है।  हर एक ब्लॉक में उसके पिछले ब्लॉक की विशेष पहचान संख्या या हेश वैल्यू होती है। पिछले ब्लॉक में किसी भी तरह का परिवर्तन होने पर पहचान संख्या बदल जाती है।आगे के ब्लॉक से इसका लिंक टूट जाता है। लिंक टूटने पर आगे के ब्लॉक तकनीकी रूप से अमान्य हो जाते हैं। ब्लॉकचेन एक साथ विश्व भर में फैले सैकड़ों कंप्यूटरों में संधारित होती है।इन सभी कंप्यूटरों पर किसी एक व्यक्ति, संस्था या सरकार का स्वामित्व नहीं होता है। किसी भी तरह से ब्लॉकचेन में परिवर्तन करना या इसे दोबारा बनाना असंभव है। इसलिए यह माना जाता है की ब्लॉकचेन तकनीक से संग्रहित डिजिटल जानकारी पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय है।
ब्लॉकचेन तकनीक सबसे सफल उदाहरण बिटकॉइन है। जिस पर विश्वास कर लोगो ने अरबों-खरबों का निवेश किया है। बिटकॉइन व्यवस्था  पर किसी का मालिकाना हक नहीं है। नाही इसे किसी देश या सरकार द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। आज तक बिटकॉइन की सुरक्षा को तोड़ने का कोई भी प्रयास सफल नहीं हुआ है। 
शुरुआत में ब्लॉकचेन  की उपयोगिता केवल बिटकॉइन के वित्तीय लेनदेन  मैं समझी जाती थी।लेकिन अब यह माना जाता है की ब्लॉकचेन  तकनीक से  सूचना प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में विश्वसनीयता के नए मापदंड स्थापित किए जा सकते है। भारत के संदर्भ में देखा जाए तो नागरिक सेवाओं में सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग शुरुआती चरण में ही दिखाई देता है। लेकिन 2018-19 के बजट भाषण में वित्त मंत्री द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन का उल्लेख देखकर लगता है कि सरकार इस तकनीक को लेकर गंभीर है। नागरिक सेवाओं में इसके उपयोग को लेकर नई पहल कर सकती है। 
उदाहरण के लिए किसी संपत्ति की खरीद फरोख्त के  पहले यह जांचा जाता है, कि संपत्ति का मालिकाना हक किसी और के पास तो नहीं है।  संपत्ति पहले से किसी और को तो नहीं बेच दी गई है। इस संपत्ति पर कोई कर्ज  तो नहीं लिया गया है। यदि संपत्तियों का रिकॉर्ड ब्लॉकचेन तकनीक पर रखा जाए,तो ब्लॉकचेन रिकॉर्ड के आधार पर  संपत्ति की खरीद का निर्णय पूरी विश्वसनीयता के साथ लिया जा सकता है। भारत में सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर किसी को व्यक्तिगत लाभ पहुचाने के मामले आये दिन सामने आतें है। ऐसे सभी सरकारी रिकार्ड्स को ब्लॉकचेन पर संधारित कर विश्वसनीय बनाया जा सकता है। इसी प्रकार से शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, राजस्व, नागरिक सुरक्षा, आदि क्षेत्रों से जुड़े अभिलिखों और जानकारियों को भी ब्लाकचैन तकनीक से सुरक्षित बनाया जा सकता है। भले ही हम ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में विकसित देशों से बहुत पीछे हैं। लेकिन  ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों को समय रहते अपनाकर हम बहुत तेजी से विकसित देशों की बराबरी कर सकते हैं।
(लेखक-रितेश जैन)
 

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