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धर्मालय बंद है लेकिन खुल गए  मदिरालय ! 

धर्मालय बंद है लेकिन खुल गए  मदिरालय ! 

कोरोना महामारी से निपटने के लिए पिछले चालीस दिन से दुनिया के साथ भारत मे भी लॉक डाउन के कारण जिंदगी ठहर सी गई है।अभी यह लॉक डाउन सत्रह मई तक जारी रहेगा।लेकिन देश के नेताओं को न भूख से मर रहे मजदूरों की फिक्र है और न ही कारोबार ठप्प करके बैठे व्यापारियों की ओर न ही उन किसानों की जिनकी बेमौसम बारिश और कोरोना के कहर ने खेती चौपट कर दी है।नेताओं को फिक्र है शराब के ठेके,पान,तम्बाकू मशाला बेचने वाली दुकानों को खोलने और खनन का कारोबार फिर से जारी करने की।आखिरी यह सब करे भी क्यो न !नेताओं की जेब तो इन्ही से भरती है।आंकड़े बताते है कि शराब पीने से होने वाली मौते कोरोना की मौतों से कही ज्यादा है।हद तो यह है कि लॉक डाउन में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सब बंद करा दिए गए लेकिन मदिरालय खोलने का फरमान जारी कर दिया गया।आपको बता दे ,लॉकडाउन के दौरान बंद शराब की दुकानों को कुछ शर्तों के साथ  खोलने की अनुमति सरकार ने दे दी है। ग्रीन जोन में शराब और पान की दुकानों को कुछ शर्तों के साथ खोलने की अनुमति दी गई है।  शराब की दुकानों और पान की दुकानों को एक दूसरे से न्यूनतम छह फीट की दूरी सुनिश्चित करते हुए ग्रीन जोन में कार्य करने की अनुमति दी गई है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि दुकान पर एक बार में 5 से अधिक व्यक्ति मौजूद न हो।कोरोना के मद्देनजर पूरे देश को 733 जोनों में बांटा गया है। इनमें 130 रेड जोन, 284 ऑरेंज जोन जबकि 319 ग्रीन जोन घोषित किए गए हैं। ग्रीन जोन के जिलों में नाई की दुकानें, सैलून समेत अन्य जरूरी सेवाओं और वस्तुएं मुहैया कराने वाले संस्थान भी 4 मई से खुल जाएंगे। सिनेमा हॉल, मॉल, जिम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स आदि बंद रहेंगे। लेकिन शराब की दुकानें 4 मई से खुल गई है।
 विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार शराब के सेवन से मनुष्य को लीवर सिरोसिस, डिप्रेशन, पेनक्रियाटाईटिस और बेचैनी जैसी बड़ी और गम्भीर बीमारियों का आक्रमण शरीर पर बड़ी तेजी से होता है और इसके पहले कि मनुष्य शराब पीने की लत से बाहर निकले, ये बीमारियां उसके शरीर मे अपनी जड़ जमा चुकी होती हैं।महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी अनेक समस्याएं सिर्फ शराब के कारण होती हैं। आजकल  आत्महत्या को सीधे-सीधे शराब से जोड़कर देखा जा सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि शराब का सीधा  असर कुछ बीमारियों के रूप में ही सामने आता है, लेकिन इसका सबसे बड़ा नुक्सान व्यक्ति के व्यवहार में आया हुआ परिवर्तन होता है जो शराब पीने वालों के जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करता है। इससे उसके व्यक्तिगत जीवन से लेकर पेशेवर जीवन तक में बहुत विकार उत्पन्न हो जाते हैं, जिसे सम्भाल पाना उसके लिए मुश्किल हो जाता है। इसमें उसका आत्महत्या वाली प्रवृत्ति का बढ़ना और उसका हिंसक हो जाना बड़ा कारण है।
शराब को मुंह, नाक, गले, पेट, लीवर के सबसे बड़े कैंसर कारक के रूप में देखा जाता है. एक आंकड़े के मुताबिक पूरी दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में 4 फीसदी से लेकर 30 फीसदी तक (विकसित और विकासशील देशों में अलग-अलग अनुपात में) शराब के कारण हुए कैंसर को ही सबसे बड़ा कारण पाया गया है।
महिलाओं में जैसे-जैसे शराब पीना लोकप्रिय हो रहा है, उनमें स्तन कैंसर के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। चिकित्सक इसके पीछे सीधे तौर पर शराब को जिम्मेदार मानते हैं। स्तन कैंसर के बड़े कारण के रूप में शराब का लगातार पीना बताया गया है।  कोई महिला सिर्फ एक पैग शराब रोज पीना शुरू कर देती है तो उसे स्तन कैंसर होने का खतरा 4 फीसदी बढ़ जाता है, लेकिन अगर महिला द्वारा शराब पीने की मात्रा बढ़ जाए तो ये खतरा 40 से 50 फीसदी तक बढ़ जाता है।  सीधे तौर पर कहें तो शराब का नियमित सेवन करने वाली महिलाओं में आधी महिलाओं को स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
देश में आत्महत्या के आंकड़े भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. माना जा रहा है कि आजकल की तनावग्रस्त जिंदगी इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है जहां कोई खुद को सुरक्षित नहीं महसूस कर रहा है। इसी तनाव में लोग शराब को एक सहारे के रूप में अपनाते हैं जो इनका तनाव और अधिक बढाने का काम करता है. अंततः शराब डिप्रेशन और अवसाद को बढ़ावा  देती है। अधिकतर मामलों में ऐसे लोग आत्महत्या को अपना अंतिम उपाय मानकर जिंदगी ख़त्म कर लेते है।
आजकल लोगों के पास तनाव के बहुत से कारण हैं. लोग व्यापार में असफलता, वैवाहिक जीवन में असफलता, प्रेम सम्बन्धों में असफलता, परीक्षा या नौकरी में असफलता जैसे कारणों से तनावग्रस्त रहने लगे हैं।ऐसे लोग साथियों के साथ शराब को इस तनाव से मुक्ति पाने का साधन समझते हैं जो अंततः इन्हें और अधिक तनाव में ले जाता है।
 सन 2016 में दुनिया में शराब के कारण 30 लाख लोगों की मौत हुई।जबकि भारत में यह आंकड़ा 2.6 लाख रहा।विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में होने वाली हर 20 में से 1 मौत शराब के कारण हुई है।इन कुल मौतों में एक तिहाई पुरुष और बाकी महिलाएं हैं। कुल मिलाकर कहें तो वैश्विक बीमारी के बोझ का 5% से अधिक का कारण शराब से होने वाली बीमारियां हैं।
सफेद मदिरा लाल मदिरा मदिरा, सुरा या शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ है। रम, विस्की, चूलईया, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर, हंड़िया, आदि सभी एक है क्योंकि सबमें अल्कोहल होता है। हाँ, इनमें एलकोहल की मात्रा और नशा लाने कि अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है परन्तु सभी को हम 'शराब' ही कहते है। कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं जो कि बिलकुल गलत है। दोनों में एल्कोहल तो होता ही है। शराब अक्सर हमारे समाज में आनन्द के लिए पी जाती है। ज्यादातर शुरूआत दोस्तों के प्रभाव या दबाव के कारण होता है और बाद में भी कई अन्य कारणों से लोग इसका सेवन जारी रखते है। जैसे- बोरियत मिटाने के लिए, खुशी मनाने के लिए, अवसाद में, चिन्ता में, तीव्र क्रोध या आवेग आने पर, आत्माविश्वास लाने के लिए या मूड बनाने के लिए आदि अनेक बहाने है।
 लॉकडाउन के बीच हरियाणा सरकार ने भी शराबबंदी खोलने के निर्देश दिए हैं। हालांकि प्रदेश में भी शराब की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। हरियाणा के एक्साइज ऐंड टैक्सेशन कमिश्नर ने सभी डिस्टलरी और बॉटलिंग प्लांट को आदेश दिया है कि शराब का उत्पादन शुरू किया जाए। इसके लिए आबकारी और राजस्व विभाग की ओर से पत्र जारी किया गया है।
कमिश्नर ने कहा कि शराब के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट खोले जाएंगे लेकिन शराब की बिक्री पर अभी अंतिम फैसला नहीं किया गया है। उन्होंने संकेत दिए कि यदि पड़ोसी राज्य ठेके खोलते हैं तो हरियाणा में भी खोलना मजबूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शराब ठेके खोलने को लेकर विपक्षी दलों के आरोपों में कोई दम नहीं है। सरकार का कहना है कि शराब बंदी से राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। वही दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत अनेक राज्यो ने कोरोना से भी खतरनाक शराब की दुकानें खोलकर आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ शुरू कर दिया है।जो चिंताजनक है।
(लेखक-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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