
जिनेवा । जानलेवा कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर चल रहे शोधों ने उसके बदलते स्वभाव को लेकर वैज्ञानिकों को भी चिंता में डाल दिया है। बायोरेक्सिव में आई एक अध्ययन के नतीजे काफी डरा रहे हैं। न्यू मैक्सिको की एलओएस एलामोस नेशनल लेबोरेटरीज में वायरस के स्ट्रेन्स की जांच हुई। इस दौरान दिखा कि वायरस में तेजी से म्यूटेशन हो रहा है और अलग अलग देशों, महाद्वीपों में इसके अलग-अलग प्रकार सामने आए हैं। ये अपने रूप के अनुसार घातक से लेकर माइल्ड असर कर रहे हैं। चीन में भी जियांग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलती-जुलती स्टडी की। इसके नतीजे बताते हैं कि दिसंबर से लेकर 5 महीनों के भीतर वायरस 30 रूप बदल चुका है। इसका सबसे घातक रूप दूसरे वायरसों से 270 गुना तेजी से बढ़ता है।
अध्ययन 2 बातों को ध्यान में रखते हुए हुआ। पहला- वायरस कितनी तेजी से बढ़ता है यानी वायरल लोड कैसा है। दूसरा- क्या वायरस अपनी होस्ट कोशिका की संरचना में भी बदलाव लाता है, यानी साइटोपैथिक इफैक्ट की जांच करना। मेल ऑनलाइन में आई खबर के मुताबिक इस दौरान देखा गया कि लोगों के शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को संक्रमित करने और खत्म करने के दौरान एक ही वायरस 30 तरह के प्रकार दिखाता है। जल्दी-जल्दी रूप बदल सकने की वजह से ये वायरस इतना संक्रामक और खतरनाक साबित हो रहा है। यहां तक कि वायरस का एक नया प्रकार आम कोरोना वायरस से 270 गुना ज्यादा तेजी से बढ़ता है इसलिए ये सबसे खतरनाक हो सकता है। अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों में वैज्ञानिकों के मुताबिक यही स्ट्रेन फैल चुका है। भारतीय वैज्ञानिक भी म्यूटेशन और खतरे को जुड़ा हुआ मानते हैं। जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के स्ट्रेन लगभग एक ही तरह के हैं, जो काफी घातक साबित हो रहे हैं। इन्हें एल स्ट्रेन कहा गया है। वहीं केरल में इसका एस टाइप स्ट्रेन मिल रहा है, जो अपेक्षाकृत कमजोर है, जिसकी वजह से मृत्युदर कम है।
वायरस खुद को लंबे समय तक प्रभावी रखने के लिए लगातार अपनी जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहते हैं ताकि उन्हें मारा न जा सके। ये सर्वाइवल की प्रक्रिया ही है, जिसमें जिंदा रहने की कोशिश में वायरस रूप बदल-बदलकर खुद को ज्यादा मजबूत बनाते हैं। म्यूटेशन की ये प्रक्रिया वायरस को काफी खतरनाक बना देती है और ये जब होस्ट सेल यानी हमारे शरीर की किसी कोशिका पर हमला करते हैं तो कोशिका कुछ ही घंटों के भीतर उसकी हजारों कॉपीज बना देती है। यानी शरीर में वायरस लोड तेजी से बढ़ता है और मरीज जल्दी ही बीमारी की गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है।