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आपके किचन में छुपा है 'इम्‍युनिटी बूस्‍टर' का खजाना, पाचनतंत्र रहेगा 'ऑलवेज गुड'

आपके किचन में छुपा है 'इम्‍युनिटी बूस्‍टर' का खजाना, पाचनतंत्र रहेगा 'ऑलवेज गुड'

नई दिल्ली । कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन ने सामान्य दिनचर्या को प्रभावित किया है। लंबे समय से लगातार घर में रहने के कारण शारीरिक निष्क्रियता में भी वृद्धि हुई है, इसकारण लोगों में पाचनतंत्र बिगड़ रहा है और कब्ज, एसिडिटी, पेट में भारीपन तथा अपच की समस्याएं बढ़ गई हैं। कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए आयुष मंत्रालय की एडवाइजरी के परिपालन की सलाह का सीधा अर्थ है कि हमें लॉकडाउन के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना है। आयुर्वेद के अनुसार, खान-पान में कुछ सामान्य चीजों को आदत में लाने से पाचनतंत्र सक्रिय बना रहता है, जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है। अधिकांश लोग भोजन के पश्चात ठंडा पानी पीते हैं, जो पाचनतंत्र को सुस्त बनाता है। इससे एब्साप्र्शन, एसिमिलेशन, मेटाबॉलिज्म और डाइजेशन ठीक से काम नहीं कर पाते। परिणामस्वरूप सही से पच न सका भोजन टॉक्सिन में परिवर्तित हो जाता है। गुनगुना पानी पाचन क्रिया को तेज कर देता है। इस संक्रमण काल में आयुर्वेद में वर्णित जीवनशैली, संतुलित भोजन, आहारविहार, घर पर ही व्यायाम, योग, प्राणायाम सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। दही व छाछ पाचनतंत्र को सक्रिय बनाएगा।  लहसुन, अदरक, नींबू का सेवन जरूर करें। दालचीनी तथा मेथी मेटाबॉलिज्म ठीक रखते हैं। एंटीऑक्सीडेंट युक्त सूखे मेवों का सीमित मात्रा में प्रयोग करें। भय, गुस्सा और उलझन के कारण एंजाइम का स्राव असंतुलित होने से पित्त बढ़ता है, जो पाचनतंत्र को खराब करता है। पर्याप्त मात्रा में नींद भी जरूरी है लेकिन असमय सोने से बायोलॉजिकल क्लॉक डिस्टर्ब होती है और इससे पाचनतंत्र प्रभावित होता है इसके अलावा गरिष्ठ तले-भुने भोजन तथा जंक फूड से परहेज करें। घर में हैं इसका मतलब यह नहीं है कि चाय, कॉफी का सेवन बढ़ा दें। लॉकडाउन परिस्थितिजन्य समस्या है, इसलिए तनावमुक्त होकर समय बिताएं। भले ही यह समय घर में बीत रहा है लेकिन अपनी दिनचर्या और खान- पान समय पर ही रखें। किसी भी तरह की समस्या होने पर खुद से उपचार न करें। तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेकर इलाज कराएं।
 

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