
जकार्ता । ट्रांसजेंडरों और समलैंगिकों को आमतौर पर समाज में स्वीकार नहीं किया जाता है, लेकिन इंडोनेशिया में इसका अजीब 'इलाज' निकाला गया है। यहां रुढ़िवादी आसेह प्रांत ने एक विधेयक पेश किया है। अगर यह पारित होता हैं तब एलजीबीटी समुदाय के सदस्यों को नरक की आग से बचने के लिए झाड़-फूंक करवाना अनिवार्य होगा। इंडोनेशिया के रुढ़िवादी समाज में ट्रांसजेंडर होना अच्छा नहीं माना जाता है। इससे मुक्ति के लिए तरह-तरह के जतन किए जाते हैं, लेकिन अब झाड़-फूंक को कानूनी दर्जा मिलने से इस समुदाय की मुश्किलें बढ़ेंगी। दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी देश इंडोनेशिया में समलैंगिकों और ट्रांसजेंडरों की कथित शुद्धि के लिए झाड़-फूंक का इस्तेमाल आम है।
हालांकि आसेह को छोड़कर पूरे इंडोनेशिया में समलैंगिकता पर कोई पाबंदी नहीं है। फिर भी माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति समलैंगिक या ट्रांसजेंडर है,तब उसमें किसी आत्मा का वास है। इस आत्मा को धार्मिक अनुष्ठान या झाड़-फूंक से भगाया जा सकता है।इंडोनेशिया में हर तरह की समस्या से निपटने के लिए झाड़-फूंक का सहारा लिया जाता है। चाहे मानसिक बीमारी हो या पारिवारिक कलह, हर मर्ज की एक ही दवा है झाड़-फूंक है। अब इस कानूनी जामा मिलने से एलजीबीटी समुदाय पर अत्याचार की आशंका बढ़ गई है।