
लंदन। इंग्लैंड के अश्वेत, एशियाई और जातीय अल्पसंख्यक समूहों को कोरोना इन्फेक्शन होने और इससे मौत होने का खतरा सामान्य जनसंख्या की तुलना में दो से तीन गुना अधिक है। यह कहा गया है विश्वविद्यालय कॉलेज लंदन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के डेटा का विश्लेषण में। एक अध्ययन के हवाले से कहा है कि एशियाई और डार्क लोग को मौत का खतरा ज्यादा है। शोध में इन्हें बीएमई यानी ब्लैक एंड माइनोरिटी एथनिक कहा गया है। बांग्लादेश और पाकिस्तान से संबंध रखने वाले अश्वेत लोगों की 1.8 गुना ज्यादा मौतें हुईं हैं। पाकिस्तानी, बांग्लादेशियों की तुलना में भारतीयों पर खतरा थोड़ा कम है। मौतों की सबसे बड़ी कुल संख्या वाला जातीय समूह भारतीय था, जिसमें 16,272 रोगियों में से 492 मौतें हुईं। ऑक्सफोर्ड में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर लियाम स्मेथ ने कहा कि शोध से हम रोगियों को बेहतर इलाज के लिए परिणाम दे सकते हैं। एशियाई लोग खतरे में अध्ययन में पाया है कि एशियाई और काले लोग मृत्यु के उच्च जोखिम में हैं। शोध में इन्हें बीएमई यानी ब्लैक एंड माइनोरिटी एथनिक कहा गया है। बांग्लादेश और पाकिस्तान से संबंध रखने वाले अश्वेत लोगों की 1.8 गुना ज्यादा मौतें हुईं हैं। पाकिस्तानी, बांग्लादेशियों की तुलना में भारतीयों पर खतरा थोड़ा कम है। वास्तव में, क्षेत्र और उम्र को ध्यान में रखने के बाद, विश्लेषण में यह बात सामने आई कि गोरे ब्रिटिश लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में मृत्यु का खतरा 12 फीसदी कम था और गोरे आयरिश लोगों में मौत का खतरा सामान्य आबादी की तुलना में लगभग आधा कम यानी कि 50 फीसदी कम था।अध्ययन के प्रमुख लेखक, डॉ. रॉब एल्ड्रिज ने उल्लेख किया कि 'जहां वे रहते हैं वहां के क्षेत्रीय अंतर जातीय समूहों के बीच मतभेदों के बारे में कुछ बयां कर सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा जानकारी मिलने की संभावना नहीं है।