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कितना सच है कोरोना युद्ध के चलते अविभाजित भारत बनाने का अघोषित युद्ध!

कितना सच है कोरोना युद्ध के चलते अविभाजित भारत बनाने का अघोषित युद्ध!

 
यह सच है कि सरकार की सोच और उसकी नीतियों की झलक सबसे पहले सरकारी संचार-प्रचार माध्यमों से ही परिलक्षित होती है।इन दिनों यूं तो देश का सारा ध्यान कोरोना महामारी को लेकर है लेकिन इसी बीच
दूरदर्शन  और आकाशवाणी से प्रसारित समाचारों में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित के मौसम सम्बन्धी समाचारों को प्रसारित करना शुरू कर दिया है। अब दूरदर्शन और आकाशवाणी पर मौसम संबंधी समाचारों में पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र पीओके के मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित के समाचार भी शामिल किये जा रहे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार गर्मी के इस मौसम में बढ़ते तापमान के बीच दूरदर्शन और आकाशवाणी द्वारा भारत के संपूर्ण क्षेत्र के समग्र मौसम संबंधी समाचारों का प्रसारण जरूरी हो गया है।दूरदर्शन व आकाशवाणी के प्रमुख बुलेटिनों में दिनभर की मौसम संबंधी जानकारियां होती हैं।  इन मौसम सबंधी समाचारों में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गिलगित से लेकर गुवाहाटी तक, बाल्टिस्तान से लेकर पोर्टब्लयेर तक  की मौसम सम्बन्धी जानकारियां होती हैं और विभिन्न स्थानों के तापमान बताये जाते हैं।  भारतीय मौसमविज्ञान विभाग ने पहले के प्रारूप से हटते हुए अपने पूर्वानुमानों में पीओके के शहरों को भी शामिल किया । इसके पीछे का कारण पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का अभिन्न अंग होना है।हालांकि
पाकिस्तान  के कब्जे वाले कश्मीर  के मीरपुर , मुजफ्फराबाद और गिलगिट  के मौसम का समाचार देने के भारत के कदम को पाकिस्तान ने अस्वीकार कर अपनी खीज मिटाने की कोशिश की है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि भारत द्वारा पिछले साल जारी किए गए कथित राजनीतिक नक्शों की तरह ही उसका यह कदम भी कानूनन निरर्थक है, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के इस बयान को कोई अहमियत नही दी है।क्योंकि भारत अविभाजित भारत की दिशा में बढ़ने को तैयार है और पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र को हर हाल में वापिस चाहता है।तभी तो कुछ दिन ही पहले भारत  ने पाकिस्तान  से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को खाली करने को कहा । भारतीय विदेश मंत्रालय  ने  पाकिस्तान को बता दिया गया है कि गिलगित- बाल्टिस्तान  सहित पूरा जम्मू-कश्मीर  और लद्दाख  भारत के अभिन्न अंग हैं। पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे से इन क्षेत्रों को तुरंत मुक्त कर देना चाहिए।
भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में आम चुनाव कराने के पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय के आदेश पर भी इस्लामाबाद के समक्ष कड़ी आपत्ति जताई है।विदेश मंत्रालय के अनुसार, पाकिस्तान को बता दिया गया है कि गिलगित- बाल्टिस्तान सहित पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे से इन क्षेत्रों को तुरंत मुक्त कर देना चाहिए।कुछ लोग अविभाजित भारत के बटवारे के समय उक्त हालात पैदा होने के लिए राजनीतिक पार्टियों और नेताओं को जिम्मेदार मानते है जबकि
इतिहास के जानकार रामचन्द्र गुहा की माने तो,'अगर उस समय विभाजन को टाला गया होता, तो ऐसा सन1946 के कैबिनेट मिशन प्लान के आधार पर ही होता। उस प्लान में एक कमजोर केंद्र की परिकल्पना थी, जिसका नियंत्रण मुद्रा, विदेश नीति और बाह्य सुरक्षा पर ही होता। बाकी तमाम चीजें प्रांतों के नियंत्रण में ही रह जाती।
कैबिनेट मिशन प्लान का यह पहलू सामान्य रूप से सर्वविदित है। जो बात लोगों को पता नहीं है और जिस पर शायद ही चर्चा हुई है, वह यह कि उस प्लान में रियासतों की स्थिति को अस्पष्ट छोड़ दिया गया था। वे स्वयं अपनी सीमा से सटे राज्यों में शामिल होने का फैसला कर सकते थे, लेकिन इसकी शर्तें स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट नहीं की गई थीं। इसके अलावा, अगर कोई रियासत स्वतंत्र रहने का दावा करे, तो उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया था।'
यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि अंग्रेजों ने जब इस महाद्वीप को छोड़ा था, तो वे अपने पीछे मात्र दो नहीं, बल्कि पांच सौ से ज्यादा राजनीतिक संस्थाएं छोड़ गए थे। वे रियासतों की समस्या का कोई समाधान निकाले बिना ही चले गए। इनमें से ज्यादातर राज्य भारत में सन्निहित थे और बहुत कम पाकिस्तान में। सरदार वल्लभभाई पटेल, वीपी मेनन और उनकी टीम पर एक के बाद एक इन रियासतों को भारत में शामिल करने का दायित्व छोड़ा गया था, जो अब भारतीय गणराज्य का हिस्सा हैं।
अगर कैबिनेट मिशन प्लान को अपनाया गया होता, तो कोई नहीं कह सकता कि महाराजाओं और नवाबों के साथ क्या होता। वास्तव में 15 अगस्त, 1947 के बाद केंद्र का इन पर कोई नियंत्रण नहीं होता। इन रियासतों के प्रधान काफी कठिन सौदा करते और यहां तक कि बड़ी रियासतें स्वतंत्र रहने का भी फैसला कर सकती थीं। अपने अहंकार में वे अपने डाक टिकट आदि और अपनी रेल प्रणाली को बनाए रखने की इच्छा जता सकते थे। उनमें से कुछ संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए भी आवेदन कर सकते थे।यह स्तिथि बहुत ही चिंताजनक हो सकती थी।जिससे भारत स्वतन्त्र होने के साथ ही आपसी एकता के अभाव में बिखर भी सकता था।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ,पंडित जवाहर लाल नेहरु आदि बड़े नेताओं ने तत्कालिक परिस्थितियों को देखते हुए जो उस समय भारत के हित मे था ,वही किया।तभी तो देश रियासतों के विलय से एकजुट हो पाया और देश विकास के रास्ते पर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पहल के साथ आगे बढ़ा।आज इसी विकास और सर्वदलीय एकजुटता की ताकत पैदा करके देश पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र को वापिस पाने की शक्ति जुटा पाया है,जिसकी संकेतात्मक पहली सीढ़ी पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र के मौसम समाचारों का प्रसारण माना जा सकता है।यानि हम कोरोना और अविभाजित भारत दोनो लड़ाई जीत सकते है बशर्ते सर्वदलीय एकता की शक्ति सबसे पहले हमारे पास हो।
(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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