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टेक्नोलॉजी को नये भारत का आधार बनाया अब्दुल कलाम ने  

टेक्नोलॉजी को नये भारत का आधार बनाया अब्दुल कलाम ने  

भारतीय दिलों के अज़ीज कलाम साहब, जिनपर आने वाली सदियां भी नाज़ करेंगी मानवता के सच्चे-पक्के भारतीय सेवक थे। वो जब तक दुनिया में रहे, अपने राष्टृ के प्रति जिम्मेदारियों के निर्वाह पर तत्पर रहे। उनकी तैयारी 2020 तक भारत को एक विकसित देश के रूप में देखने की थी। अबुल पाकिर जैनुल अब्दीन अब्दुल कलाम जितना बडा नाम उतनी बडी ही शख्सियत, और अपने राष्टृ को उतनी ही उचांईयों में देखने का सपना। जिसे उन्होंने भारत के युवाओं की आंखों में बसाने का काम किया। देश को दुनिया के मानचित्र पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सशक्त बनाने के लिए उन्होंने पहली बार 1974 में और फिर दूसरी बार 1998 में पोखरन द्वितीय परमाणु परीक्षण में निर्णायक भूमिका का निर्वाह किया, जिसने विश्व के चौधरी अमेरिका को भी सदमें में डाल दिया था। भारत ने राजस्थान के पोखरण परमाणु स्थल पर 11 मई से 13 मई 1998 तक पांच परमाणु परीक्षण किए जिनका उददेश्य किसी को हानि पहुंचाना नहीं बल्कि भारत को शान्ति और उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिभर बनाना था। डा. कलाम साहब के नेतृत्व में भारत ने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को नये आयाम स्थापित किए। कलाम साहब की प्रतिभा का कमाल है कि हम आज अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल जैसी मिसाइलों से लैस है। उनकी मेहनत और मजबूत नेतृत्व के फलस्वरूप भारत एक परमाणु सम्पन्न राष्टृ है। उनकी प्रेरणा से आज भी भारत नवीन तकनीकि के खोज एवं विकास में लगा हुआ है।  
   भारत रत्न डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम भारत की विरासत हैं। एक साधारण से परिवार में जन्में कलाम साहब ने राष्टृपति बनने तक का सफर तय किया। उनकी सादगी, मितव्ययिता और ईमानदारी एक मिसाल है। जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी बनेगी और सीख भी। उन्होंने देश की सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर मजबूती बनाते हुए विकास के मॉडल को प्रसारित किया। जिसका नेतृत्व देश के युवाओं को सौपनें का पक्ष लिया। टेक्नोलॉजी और विज्ञान के महारथी डा. कलाम वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान ;‘एडीई‘ में एक छोटे से होवरक्राफट से अपना कैरियर आरम्भ किए। कुछ समय पश्चात ही वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ जुड गए। उनको सन् 1969 में देश के पहले स्पेस लान्च वेहकिल प्रॉजेक्ट के डारेक्टर के तौर पर इसरो भेजा गया। उस वक्त भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की शुरूआत हुई थी। यह वह दौर था जब कलाम साहब और उनके वैज्ञानिक सहयोगी रॉकेट और स्पेस वेहकिल तैयार करने के लिए जरूरत का समान लाने ले जाने के लिए बैलगाडी और साइकिल का उपयोग करते थे। काम के प्रति ऐसा समर्पण कि जिस काम में एक बार लग जाए फिर पीछे हटना मुश्किल, काम को पूरा करके ही चैन की सांस लेते थे। डा. कलाम टेक्नोलॉजी इनफार्मेशन, फॉरकास्टिंग एण्ड एसिसमेंण्ट कौंसिल, टेक्नोलॉजी विजन 2020 मिशन, इण्डिया मिलेनियम मिशन के साथ जुडकर भारत की सिक्योरिटी और टेक्नोलॉजी को बढाने में लगे रहे। और आगे चलकर चेन्नई के अन्ना यूनिवर्सिटी में सांइस एण्ड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर भी बने। अपनी बेशकीमती पुस्तकों- इण्डिया 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम, माई जर्नी तथा इग्नाटिड माइंड्स-अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया, इण्डिया-माय डीम, विंग्स ऑफ फायर, एनविजनिंग अन एमपावर्ड नेशन : टेक्नालजी फार सोसायटल टांसफारमेशन आदि को भारत की धरोहरों में शामिल किया। डा. कलाम के विचार-संदेश इन पुस्तकों के माध्यम से हमेंशा देश के लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। डा. कलाम साहब को युवाओं से जुडना, बच्चों से प्रेम करना सबसे प्रिय लगता था। 
   डा. कलाम ने देश के पहले बैलेट मिशाइल प्रॉजेक्ट को डायरेक्ट किया। रोहिणी नाम की सेटेलाइट को पृथ्वी की ऑबिट में भेजा जो सफल रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उनके काम को खूब सराहा, साथ ही एडवांस एण्ड गाइडेड मिशाइल प्रोजेक्ट की फंडिग का भी बंदोबस किया। यह 1982 का दौर था जब कलाम साहब डी.आर.डी.ओ. के साथ जुडकर इस प्रोजेक्ट पर लग गए। तत्पश्चात देश को अग्नि, पृथ्वि, ब्रहमोस जैसी मिसाइले समर्पित की और नाग, आकाश, त्रिशूल मिशाइलों की तैयारियों में अहम रोल अदा किया। डा. कलाम को परमाणु परीक्षण के दौरान कई कठिन बाधाओं से निपटना पडा, क्योंकि अमेरिका की पैनी निगाहें सैटेलाइट से रात-दिन भारत के उपर नज़रे जमाऐ हुए थी, ऐसे में भारत को दुनिया से बचते-बचाते अपने को सुरक्षित करना बडी जिम्मेदारी थी। जिसको डां कलाम ने सफलता से पूर्ण किया और द्वितीय पोखरण परमाणु परीक्षण को दुनिया के चुनिंदा सफल सीक्रेट मिशन में शामिल कराया। तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी और डा. कलाम साहब ने देश को परमाणु सम्पन्न बनाने का खाका तैयार किया। जिसे ऑपरेशन शक्ति नाम दिया गया। देश के सुपर सीक्रेट मिशन ऑपरेशन शक्ति में डा. कलाम का सीक्रेट कोड नाम “मेजर पृथ्वीराज“ रखा गया। इस मिशन का सफल परीक्षण कई देशों का सुकून और नींद छीन ले गया, लेकिन भारत दुनिया में अपनी धाक जमाने में कामयाब रहा।  
  डा. कलाम का शुरू से ही बच्चों से बहुत जुडाव था, एक बार उनसे किसी विदेशी पत्रकार ने सवाल पूछा, कि आपकी कोई संतान नहीं है, फिर भी आप बच्चों से इतना प्यार करते हैं क्यों? कलाम साहब मुस्कुराए और बडी शालीनता से बोले, मेरे तीन बच्चे हैं पृथ्वी, अग्नि और ब्रहमोस। उन्होंने अपनी किताब 2020 में लिखा था कि वह भारत को 2020 तक या इससे पहले एक विकसित देश के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। उनके इस सपने को हम आने वाले दिनों में अवश्य पूरा करेंगे। डा. कलाम ने अपनी यह पुस्तक भारत 2020 उस बच्ची को समर्पित कर दी, जिसने उनसे कहा कि वह एक विकसित भारत में रहना चाहती है। उन्होंनें इस पुस्तक के माध्यम से भारत को दुनिया में सुपरपावर के रूप में स्थापित करने का स्वप्न देखा है, जिसमें परमाणु ताकत का होना भारत की पकड मजबूत करेगा। डा. कलाम ऐसे समाज चिन्तक थे, जिनसे समाज का हर व्यक्ति जुडा हुआ था। वे प्रत्येक भारतवासी के हृदय में वास करते थे और हमेशा रहेंगे। वे देश के 11 वें राष्टृपति थे, जब वह अपना कार्यकाल पूरा कर राष्टृपति भवन से जा रहे थे, तब उनसे विदाई संदेश देने के लिए कहा गया तो उनका कहना था कि ‘विदाई कैसी? मैं अब भी एक अरब देशवासियों के साथ हूं। यकीनन वो हमेंशा प्रत्येक भारतवासियों के साथ रहेंगे............। कमाल के थे देश के सच्चे सेवक कलाम साहब..........।  
(लेखिका -डा. नाज़परवीन / ईएमएस)12मई/ईएमएस
 

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