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कोरोना के कारण पस्त हुआ तेल किंग सउदी अरब, जनता पर तीन गुना बढ़ाया टैक्स

कोरोना के कारण पस्त हुआ तेल किंग सउदी अरब, जनता पर तीन गुना बढ़ाया टैक्स

नई दिल्ली । दुनियाभर में तेल का निर्यात कर मोटी कमाई करने वाला देश सऊदी अरब आज कोरोना महामारी से होने वाली दिक्कतों की मार झेल रहा है। बता दें कि कोरोना महामारी से तेल की कीमतों में काफी गिरावट आ गई है। इसी को देखकर सऊदी अरब ने सोमवार को जनता से वसूले जाने वाले टैक्सों से लेकर बुनियादी वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स यानि की वैट को तीन गुना कर 15 प्रतिशत बढ़ा दिया है। साथ ही सऊदी अरब ने खर्च में 26 अरब डॉलर तक के खर्च को घटाया है। इतना ही नहीं कोरोना संकंट के बीच सऊदी अरब के नागरिकों को जो कॉस्ट ऑफ लिविंग अलाउंस मिलता था वहां मिलना बंद हो गया है। यह अलाउंस सउदी अरब सरकार की तरफ से नागरिकों को सालाना भत्ते के रूप में मिलता था। 
सऊदी अरब के विदेश मंत्री के मुताबिक कोरोना के बीच यह कठिन फैसले इसकारण लिए गए है ताकि देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर किया जा सकें। कच्चे तेल से मोटी कमाई वसूलने वाला देश हमेशा से ही तेल के निर्यात पर निर्भर रहता था लेकिन जब से कोरोना माहमारी शुरू हुई है तब से ही कच्चे तेलों के निर्यात में गिरावट के आने से सऊदी अरब की मुसीबतें बढ़ गई हैं।इसकारण सऊदी अरब अब अपनी अर्थव्यव्स्था को फिर से सतुंलन करने के लिए कच्चे तेल से हटकर बाकी अन्य सेक्टर्स पर ध्यान दे रहा है। बात करें वर्तमान समय की तब गिरावट के बावजूद कच्चे तेलों के दाम 30 अरब डॉलर प्रति बैरल के लेवल पर ही बना हुआ है। उसके बावजूद सऊदी अरब को अपने बजटीय घाटे को संतुलन रखने के लिए ये फैसला उठाना पड़ा है। सऊदी अरब को न सिर्फ कच्चे तेलों की गिरावट से नुकासान हुआ है बल्कि मुस्लिम समुदाय के लिए पवित्र स्थल माने जाने वाले मक्का और मदीना में कोरोना की वजह से धार्मिक यात्राओं पर रोक लगने से देश के राजस्व को काफी नुकसान हुआ है। 
न सिर्फ सऊदी अरब बल्कि अन्य तेल निर्यातक देश यानि की ईरान, इराक भी जनता से भारी टैक्स वसूल सकती हैं। साल 2020 में सऊदी अरब को 22 फीसदी की बड़ी गिरावट देखने को मिली है। सऊदी सरकार का बजटीय घाटा 9 अरब डॉलर के भी पार पहुंच चुका है। वहीं कच्चे तेलों में पिछले साल के मुकाबले इस साल कम से कम  24 फीसदी तक का नुकसान देखने को मिला है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी सऊदी अरब के अर्थव्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि कच्चे तेलों की कीमत में गिरावट की वजह से सऊदी अरब के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
 

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