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कोरोना युद्ध मे पत्रकारों को क्यो नही माना योद्धा! 

कोरोना युद्ध मे पत्रकारों को क्यो नही माना योद्धा! 

लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया के प्रति सरकार की बेरुखी पत्रकारों के आक्रोश का कारण बन रही है।कोरोना महामारी से निजात दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग और नगर निकाय विभाग तथा उनके सहयोगियों को तो कोरोना योद्धा का सम्मान देकर उनकी सुरक्षा व्यवस्था तक पुख्ता की गई।लेकिन जो मीडिया इस तीनो विभागों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर और अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना से जुड़ी खबरें देश दुनिया को परोस रहा है, उनको न तो कोरोना योद्धा ही माना गया और न ही उन्हें जोखिम लाभ दिया जा रहा है।
 कोरोना महामारी में पत्रकारों की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी बाकी के योद्धाओं की।
 नाम मात्र की वेतन या फिर मानदेय के साथ अपना कर्तव्य निभाने के लिए देश के लाखों पत्रकार  सुबह से लेकर देर रात तक देश की सड़कों पर खबर के लिए अपनी जान जोखिम में लेकर घूमते हैं, चाहे  संक्रमित अस्पताल हो या सील किए हुए संक्रमित इलाके इन सभी क्षेत्रों से खबर के लिए बिना किसी सहारे के दिन रात मेहनत करते पत्रकारों का भी परिवार है, जहां उनके घर से निकलने के बाद से ही देर रात तक उनके घर लौटने तक परिवार के लोग चिंता में रहते हैं । इन पत्रकारों के लिए क्या कोई सरकार जमीनी स्तर पर कुछ कर रही है और यदि कर रही है तो कितने पत्रकारों को उसका लाभ अभी तक मिला और यदि नही मिला तो क्यो नही मिला?
 एक पत्रकार का अपना सेवा समय भी निश्चित नही है।  क्योंकि यह एक जुनूनी पेशा है ।जहां एक अच्छी खबर के लिए अपनी जान तक को दांव पर लगा देता है । ऐसे में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की तरफ भी पत्रकारों की अपेक्षा भरी नजरें लगी हुई है कि यदि पत्रकारों को अपना काम करते हुए कुछ हो गया तो  उनके परिवार के लिए कौन सी सरकार क्या करेगी? 
 चाहे वह गांव देहात के पत्रकार हो या कस्बो और शहरों के या फिर डेस्क पर बैठे हुई सम्पादकीय टीम के पत्रकार ,सभी को कोरोना योद्धा के रूप में स्वीकारा जाकर उन्हें समुचित सम्मान व सुरक्षा मिलनी चाहिए। राज्य सरकार व केंद्र सरकारों को ऐसे सभी पत्रकारों व उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा के साथ एक लाइफ इंश्योरेंस अथवा कोरोना काल तक के लिए पुलिस व डॉक्टरों को दी जाने वाली ऐसोलेशन, रोज़ होने वाली मेडिकल स्क्रीनिंग की भी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि विभिन्न मीडिया संस्थानों से जुड़े हुए पत्रकार बिना अपने परिवार की चिंता किए हुए कोरोना काल में अपने फर्ज का निर्वाह करते रहें।
यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) ने पत्रकार हितो को लेकर कुछ प्रमुख मांगे सरकार के सामने रखी है। जिनमे पत्रकार पेंशन योजना, चिकित्सा सुविधा, पत्रकार सुरक्षा कानून एवं 50 लाख का बीमा सुरक्षा कवर आदि देने को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है।
 पत्र में पत्रकार हित में सेवानिवृत/वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दिए जाने तथा पत्रकारों की निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था दिये जाने का अनुरोध किया है।
उपजा की ओर से राज्यपाल उत्तर प्रदेश को 03 अप्रैल 2019 में  ‘पत्रकार सुरक्षा कानून’ बनाने तथा पत्रकारों के विरुद्ध राजपत्रित अधिकारी द्वारा जाँच के उपरान्त जिलाधिकारी की स्वीकृति के बाद ही अभियोग पंजीकृत करने की मांग की गई । 
जबकि यूनेस्को ने कोविड- 19 के चलते अफवाहों, भ्रम आदि से निजात दिलाकर वास्तविक अपडेट से अवगत कराने के कारण पत्रकारों, मीडियाकर्मियो को सबसे महत्वपूर्ण आवश्यक सेवा में शामिल करने के लिए सभी राष्ट्रों को निर्देश दिए है, चौबीस घंटे खबरों से रूबरू कराने के बाद भी आवश्यक सेवाओ में शामिल पत्रकारों को छोड़कर अन्य सभी को सरकार की ओर से 50 लाख रुपये का रिस्क कवर बीमा दिया गया है ।जबकि पत्रकार बौद्धिक श्रमिक है।सरकार ने तमाम श्रमिको को आर्थिक राहत पैकेज दिया है। लेकिन बौद्धिक श्रमिक पत्रकार को इससे भी वंचित रखा गया है।भारतीय संविधान की धारा-39 में राज्यो का दायित्व है कि भौतिक संसाधनों का आवंटन इस प्रकार करे कि सभी को लाभ मिले।आश्चर्य की बात है कि सरकार ने भौतिक संसाधनों के आवंटन में भी भेद भाव करते हुए पत्रकारों को इससे अलग रखा है।वही
 उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने कोरोना से आगरा के वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ की मृत्यु को दुखद बताते हुए प्रदेश सरकार से पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है। समिति अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने प्रदेश सरकार से मृतक पत्रकार के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।कोरोना से उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार के निधन की यह पहली घटना है।
 कोरोना संकट के इस दौर में पत्रकार वारियर की तरह जान जोखिम में डाल कर दिन रात मेहनत कर रहे हैं और सरकार के जनकल्याण के कदमों, फैसलों की जानकारी के साथ जनता को महामारी से बचाव के लिए जागरूक भी कर रहे हैं।इसलिए पत्रकारों को कोरोना वारियर्स की श्रेणी में रखने हुए उनकी समुचित सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार को उठानी चाहिए तथा सभी पत्रकारों को बीमा कवर के साथ ही इस महामारी से जीवनहानि होने की दशा में मुआवजे व नौकरी का प्रावधान किया जाना चाहिए।
 हरिद्वार प्रेस क्लब ने यूपी में कोरोना के कारण वरिष्ठ पत्रकार के निधन को बहुत दुखद बताते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है साथ ही सभी सरकारों से पत्रकारों को कोरोना वारियर्स की श्रेणी में रखते हुए उनके तमाम सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकारी स्तर पर लिए जाने की मांग उठाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र भेजकर प्रेस कल्ब ने पत्रकारों को भी समुचित स्वास्थ्य सुरक्षा मुहैया कराने की मांग उठाई है।रुड़की में काम कर रहे करीब एक सौ पत्रकारों को भी बिना सुविधा व सुरक्षा के कोरोना योद्धा की तरह ही काम करना पड़ रहा है।लेकिन सरकार की उनके प्रति बेरुखी इस कदर है कि लॉक डाउन की अवधि में वेतन -मानदेय न मिलने पर भी कोई राहत राशि पत्रकारों को नही दी गई।यही स्तिथि देश के अन्य राज्यों में भी है।आखिर लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ के हितों के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यो हो रहा है,कोई तो कुछ बताये !
(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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