
लंदन । दुनिया के ज्यादातर देशों में तमाम कोशिशों के बाद भी कोरोना के नए मामला आना जारी है। भारत भी उन देशों की सूची में शामिल है। केंद्र सरकार ने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगा दिया है। अब सूचना हैं कि कुछ शर्तों के साथ लॉकडाउन-4 भी लागू हो सकता है। इस बीच लोगों को कोरोना के साथ ही नहीं दिखाई देने वाली एक और मुसीबत से जूझना पड़ रहा है। डेढ़ महीने से ज्यादा समय से घर में बैठे लोगों में अकेलापन, खालीपन और संक्रमण के डर के कारण डिप्रेशन और घबराहट की स्थिति पैदा हो रही है। शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्यादा लोग वे हैं, जो कोरोना वायरस के डर के कारण ठीक से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, दुनियाभर में डिप्रेशन के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं। उनके मुताबिक, ये भयंकर मानसिक स्वास्थ्य संकट की शुरुआत भर है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के करीब 50 फीसदी लोगों का कहना था कि कोरोना उनके दिमागी संतुलन को खराब कर रहा है। जब लोगों को अपने करीबी, पहचान वाले, साथ काम करने वाले या घर के आसपास किसी के संक्रमित होने की जानकारी मिलती है,तब घबराहट बहुत ज्यादा होने लगती है।
सर्वे में 45 फीसदी व्यस्कों ने कहा कि वैश्विक महामारी उनके दिमाग पर नकारात्मक असर डाल रही है। वहीं, 19 फीसदी का कहना था कि इससे उनके दिमाग पर बहुत बुरा असर हो रहा है। होम क्वारंटीन या क्वारंटीन सेंटर्स में रखे गए लोगों की हालत ज्यादा खराब है। कोरोना संकट के दौर में लोगों को नींद नहीं आ रही है। लोग उदास और डरा हुआ महसूस कर रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट में पहले ही ये सामने आ चुका है कि इस दौरान लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं। भारत में भी जैसे-जैसे कोरोना मरीजों की संख्या और मौत के मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे लोगों में घबराहट भी बढ़ रही है। शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्यादा लोग कोरोना वायरस के डर की वजह से सही से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, भारत में 40 फीसदी लोग हैं, जिनका दिमाग कोरोना से संक्रमण के बारे में ख्याल आते ही अस्थिर हो जाता है। वे काफी देर तक इसके अलावा कोई दूसरी बात सोच ही नहीं पाते हैं और उनका दिमाग अस्थिर हो जाता है। वहीं, कोरोना के बीच अपने परिवार की सेहत को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहने वालों की तादाद 72 फीसदी है।भारत में 41 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर उनकी पहचान या उनके ग्रुप या उनके कार्यस्थल का कोई व्यक्ति बीमार होता है,तब घबराहट कई गुना बढ़ जाती है। वहीं, घर के आसपास किसी के संक्रमित पाए जाने पर हिम्मत ही जवाब दे जाती है।