
नई दिल्ली । कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई। कई रिपोर्ट्स हैं कि शुरुआत में चीन ने इस वायरस के मामलों को छिपाया। धीरे-धीरे कोरोना पूरी दुनिया में फैल गया और आज हालात ये हैं कि तीन लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। चीन की जवाबदेही तय करने की डिमांड दुनिया के कई देशों ने उठाई। अब चीन पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो गई है। वहीं चीन का बचाव करने वाले वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएचओ) की भूमिका भी तय होगी। भारत समेत दुनिया के 62 देशों ने कोरोना पर एक स्वतंत्र जांच की मांग की है। सोमवार को वल्र्ड हेल्थ असेंबली में यूरोपियन यूनियन की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इसमें डिमांड की गई है कि कोरोनाको लेकर डब्लूएचओ के नेतृत्व में इंटरनेशनल हेल्थ रेस्पांस की निष्पक्ष, स्वतंत्र और विस्तृत जांच हो।
चीन, अमेरिका को आपत्ति नहीं
डब्लूएचओ में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो सकता है। प्रस्ताव की भाषा ऐसी है कि ना तो चीन, और ना ही अमेरिका ने इसका विरोध किया है। हालांकि ये दोनों ही देश उन 62 देशों की सूची में नहीं हैं जो प्रस्ताव को समर्थन दे रहे हैं। प्रस्ताव में डब्लूएचओ महासचिव से इंटरनेशनल एजंसीज के साथ मिलकर वारयस के सोर्स का पता लगाने और वह इंसानों में कैसे फैला, इसका पता लगाने की भी मांग रखी गई है।
अब तक इनकार करता आया है चीन
डब्लूएचओ और चीन को लेकर कई देश अपना नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। चीन अबतक इससे इनकार ही करता आया है कि कोरोना महामारी फैलने में उसका कोई हाथ है। ट्रंप ने जब कहा था कि अगर पता चला कि चीन इस महामारी के लिए जिम्मेदार है तो उसे भुगतना होगा। वह इसे वुहान वायरस और चाइनीज वायरस तक बता चुके हैं। चीन ने सभी आरोपों को खारिज किया है। उसका कहना है कि उसने वारयस की शुरुआत का पता लगाने की डब्लूएचओ की कोशिशों का समर्थन किया था, मुद्दे का राजनीतिकरण करने पर तुले देशों का नहीं।