
नई दिल्ली । भयावह कोरोना वायरस के मानव शरीर में फैलने की अब जांच की जाएगी। अभी जांच के लिए तैयार नहीं होने वाले चीन पर अब और दबाव बढ़ जाएगा। विश्व स्वास्थ्य असेंबली की जेनेवा में चल रही बैठक में इसका प्रस्ताव रखा गया था, जिसकी जांच के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। 100 से ज्यादा देशों ने इसका समर्थन करते हुए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कल ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आगाह किया कि वह अगले 30 दिन में यह प्रदर्शित करे कि वह चीन से प्रभावित नहीं हैं। ऐसा नहीं करने पर ट्रंप ने इस संगठन में अमेरिका की सदस्यता के बारे में पुनः विचार करने और संगठन को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को "स्थायी रुप" से रोकने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, "मैं अमेरिकी करदाताओं के डॉलर को उस संगठन को देने की इजाजत नहीं दे सकता हूं, जो अपनी मौजूदा स्थिति में साफ तौर पर अमेरिकी हितों की सेवा नहीं कर रहा है।" ट्रंप ने 18 मई को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच की अनुमति देने के लिए चीन से सार्वजनिक रूप से अपील करने में नाकाम रहा है, बावजूद इसके कि उसकी अपनी आपात समिति ने इसका समर्थन किया है। बता दें कि चीन पर वायरस फैलाने का आरोप लग रहा है। जो प्रस्ताव पास हुआ है उसके मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के कामकाज की भी जांच होगी। पिछले साल दिसंबर के महीने में चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। वायरस चीन के बाहर भी तेजी से फैला और अब तक इस वायरस की चपेट में आने से दुनियाभर में दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका ने खुले तौर पर डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस के मुद्दे पर चीन के पक्ष में संगठन खड़ा रहा।